Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या के स्नान-दान और पितरों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के कार्य किए जाते हैं। इस दिन मानसिक शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए मौन व्रत रखने का भी बड़ा महत्व है।
मौनी शब्द मौन से उत्पन्न हुआ है यानी इस दिन मौन रहकर व्रत करना चाहिए। मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत धारण कर मन को संयमित करके काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि से दूर रखना चाहिए।
देवतागण प्रयागराज आकर अदृश्य रूप से संगम में स्नान करते हैं। वहीं मौनी अमावस्या के दिन पितृगण पितृलोक से संगम में स्नान करने आते हैं और इस तरह देवता और पितरों का इस दिन संगम होता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र संगम में देवताओं का निवास होता है इसलिए इस दिन मौन रखकर गंगा स्नान का विशेष महत्व है।
प्रयागराज कुंभ मेले के दौरान, मौनी अमावस्या सबसे महत्वपूर्ण स्नान दिवस में से एक है, और इसे अमृत योग के दिन और कुंभ पर्व के दिन के रूप में जाना जाता है।
मान्यता है कि इसी दिन जैन संप्रदाय के प्रथम तीर्थंकार ऋषभ देव ने अपनी लंबी तपस्या का मौन व्रत तोड़ा था और संगम के पवित्र जल में स्नान किया था।
Mauni Amavasya 2025:मौनी अमावस्या के दिन स्नान-दान के कार्य पुण्य फलदायी माने जाते हैं। वैसे तो सनातन धर्म में हर माह में आने वाली अमावस्या तिथि महत्वपूर्ण होती है। इस दिन पितरों की आत्माशांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है, लेकिन मौनी अमावस्या के दिन पितरों को प्रसन्न करने का उत्तम दिन माना जाता है। मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन पितरों के पिंडदान और तर्पण से उन्हें बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। मौनी अमावस्या के दिन स्नान-दान के साथ साधु-संत और अन्य लोग मौन व्रत भी रखते हैं। ऐसा कहा जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन व्रत-उपवास रखने से आत्मसंयम, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए विस्तार से जानते हैं मौनी अमावस्या की सही तिथि और इस दिन मौन व्रत का महत्व?
Mauni Amavasya 2025 मौनी अमावस्या 2025: कब है?
द्रिक पंचांग के अनुसार, माघ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का आरंभ 28 जनवरी 2025 को रात 07 बजकर 35 मिनट पर होगा और अगले दिन 29 जनवरी 2025 को शाम 06 बजकर 05 मिनट पर समाप्त होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या मनाया जाएगा।
मौनी अमावस्या पर मौन व्रत का महत्व Mauni Amavasya per moon vrat ka mahetwa 2025
मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत किया जाता है। यह व्रत साधु-संतों और अन्य व्यक्तियों द्वारा किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, मौन व्रत रखने से मानसिक शांति मिलती है और व्यक्ति का आध्यात्मिक कार्यों में मन लगता है। इस व्रत को रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मौन व्रत के दौरान व्यक्ति अपने विचारों और वाणी पर संयम रखता है।
इससे ध्यान में एकाग्रता बढ़ती है और व्यक्ति आध्यात्मिक विकास की ओर आगे बढ़ता है। यहीं नहीं, मौन व्रत रखने से वाणी शुद्ध होती है। साधक को मानसिक शांति मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने से सामाजिक पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है और वाणी में मधुरता आती है। हालांकि, मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान के बाद ही पूरे दिन मौन व्रत किया जाता है और दान-पुण्य के कार्य किए जाते हैं। अमावस्या तिथि समाप्त होने के बाद मौन व्रत पूर्ण होता है।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।