Kalki Stotram:कल्कि स्तोत्रम् (कल्कि स्तोत्रम् हिंदी): भारतीय जीवन धारा में महत्वपूर्ण स्थानों में से एक भक्ति ग्रंथ के रूप में पुराणों को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। पुराण साहित्य भारतीय जीवन और साहित्य की अभिन्न निधि है। Kalki Stotram इनमें मानव जीवन के उतार-चढ़ाव की अनेक कथाएं हैं। कर्मकांड से ज्ञान की ओर बढ़ते हुए भारतीय मानस में भक्ति की अविरल धारा प्रवाहित हुई है। विकास की इसी प्रक्रिया के अनुसार बहुदेववाद और निर्गुण ब्रह्म की रचनात्मक व्याख्या धीरे-धीरे मानस अवतारवाद या सगुण भक्ति की ओर प्रेरित हुई।

अठारह पुराणों में विभिन्न देवी-देवताओं को पाप और पुण्य, धर्म और अधर्म, कर्म और हरण के कृत्यों का केंद्र बताया गया है। आज के निरंतर संघर्ष के युग में पुराणों का पठन-पाठन मनुष्य को मोक्ष से मुक्ति में एक निश्चित दिशा दे सकता है Kalki Stotram और मानवता के मूल्यों की स्थापना में एक सफल प्रयास सिद्ध हो सकता है। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, पाठकों की रुचि के अनुसार, यह पुस्तक सरल, सहज और भाषा में पुराण साहित्य की श्रृंखला में कल्कि स्तोत्रम् है।

इसमें वर्णित है कि वे दो युगों के संयोग में, अर्थात् कलियुग के अंत और सत्ययुग के प्रारंभ में प्रकट होंगे। सत्य, त्रेता, द्वापर और कलि नामक चार युगों का महान चक्र कैलेंडर महीनों की तरह घूमता है। कलियुग की वर्तमान आयु 432,000 वर्ष है, जिसमें से कुरुक्षेत्र के युद्ध और राजा परीक्षित के शासन के अंत के बाद हम केवल 5,000 वर्ष ही व्यतीत कर पाए हैं। इसलिए भगवान कल्कि के आगमन तक 427,000 वर्ष शेष हैं।

इसलिए इस अवधि के अंत में, कल्कि का अवतार होगा, जैसा कि श्रीमद्भागवतम् में भविष्यवाणी की गई है। भारतीय जीवन धारा में जिन ग्रंथों का महत्वपूर्ण स्थान है, वे भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। पुराण साहित्य भारतीय जीवन और साहित्य की अभिन्न निधि है। इनमें मानव जीवन के उतार-चढ़ाव की अनेक कथाएं हैं।

भारतीय चिंतन परंपरा में कर्मकांड युग, उपनिषद युग, ज्ञान युग और पुराण युग तथा सर्वोच्च भक्ति युग का निरंतर विकास होता हुआ दिखाई देता है। Kalki Stotram कर्मकांड से ज्ञान तक आते-आते भारतीय मानस चिंतन की पराकाष्ठा पर पहुंचा और ज्ञान चिंतन के बाद भक्ति की अविरल धारा प्रवाहित हुई।

Kalki Stotram:कल्कि स्तोत्रम के लाभ

भगवान श्री विष्णु भी दशावतार में जाना चाहते हैं! जिनमें से एक अवतार कल्कि (कल्कि स्तोत्रम) अवतार है, जिसे भगवान विष्णु जी इस कलियुग में अपनाएंगे (कल्कि स्तोत्रम), इसका वर्णन पुराणों में मिलता है! Kalki Stotram कल्कि स्तोत्र का नियमित पाठ करने से भगवान श्री विष्णु से श्री कल्कि अवतार की कृपा प्राप्त होती है

Kalki Stotram:किसको करना चाहिए यह स्तोत्रम का पाठ

जिन व्यक्तियों को अथक प्रयासों के बावजूद भी अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं हो रहा है, उन्हें इस कल्कि स्तोत्रम का नियमित पाठ करना चाहिए।
अधिक जानकारी और कल्कि स्तोत्रम के विवरण के लिए कृपया एस्ट्रो मंत्र से परामर्श लें।

कल्कि स्तोत्रम् | Kalki Stotram Lyrics

श्रीगणेशाय नमः ।

सुशान्तोवाच ।

जय हरेऽमराधीशसेवितं तव पदांबुजं भूरिभूषणम् ।

कुरु ममाग्रतः साधुसत्कृतं त्यज महामते मोहमात्मनः ॥ १॥

तव वपुर्जगद्रूपसम्पदा विरचितं सतां मानसे स्थितम् ।

रतिपतेर्मनो मोहदायकं कुरु विचेष्टितं कामलंपटम् ॥ २॥

तव यशोजगच्छोकनाशकं मृदुकथामृतं प्रीतिदायकम् ।

स्मितसुधोक्षितं चन्द्रवन्मुखं तव करोत्यलं लोकमङ्गलम् ॥ ३॥

मम पतिस्त्वयं सर्वदुर्जयो यदि तवाप्रियं कर्मणाऽऽचरेत् ।

जहि तदात्मनः शत्रुमुद्यतं कुरु कृपां न चेदीदृगीश्वरः ॥ ४॥

महदहंयुतं पञ्चमात्रया प्रकृतिजायया निर्मितं वपुः ।

तव निरीक्षणाल्लीलया जगत्स्थितिलयोदयं ब्रह्मकल्पितम् ॥ ५॥

भूवियन्मरुद्वारितेजसां राशिभिः शरीरेन्द्रियाश्रितैः ।

त्रिगुणया स्वया मायया विभो कुरु कृपां भवत्सेवनार्थिनाम् ॥ ६॥

तव गुणालयं नाम पावनं कलिमलापहं कीर्तयन्ति ये ।

भवभयक्षयं तापतापिता मुहुरहो जनाः संसरन्ति नो ॥ ७॥

तव जनुः सतां मानवर्धनं जिनकुलक्षयं देवपालकम् ।

कृतयुगार्पकं धर्मपूरकं कलिकुलान्तकं शं तनोतु मे ॥ ८॥

मम गृहं पतिपुत्रनप्तृकं गजरथैर्ध्वजैश्चामरैर्धनैः ।

मणिवरासनं सत्कृतिं विना तव पदाब्जयोः शोभयन्ति किम् ॥ ९॥

तव जगद्वपुः सुन्दरस्मितं मुखमनिन्दितं सुन्दरत्विषम् ।

यदि न मे प्रियं वल्गुचेष्टितं परिकरोत्यहो मृत्युरस्त्विह ॥ १०॥

हयवर भयहर करहरशरणखरतरवरशर दशबलदमन ।

जय हतपरभरभववरनाशन शशधर शतसमरसभरमदन ॥ ११॥

इति श्रीकल्किपुराणे सुशान्ताकृतं कल्किस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।

Kalki Stotram:कल्कि स्तोत्रम् विशेषताएं

कल्कि स्तोत्रम् Kalki Stotram हिंदी का पाठ करने के साथ यदि विष्णु स्तुति और विष्णु चालीसा का पाठ किया जाए, तो इस स्तोत्र का शीघ्र फल की प्राप्ति होने लगती है इस स्तोत्र का पाठ करने के साथ श्री विष्णु यन्त्र की पूजा करते है, तो साधक के सभी शत्रुओं का विनाश होने लगता है। और शत्रु विजय की प्राप्ति होती है। कल्कि स्तोत्र का पाठ करते समय विष्णु माला का जाप करते है, तो साधक अपने लक्ष्य की ओर बढता है साथ ही समाज में मान-सम्मान मिलने लगता है।

Kalki Stotram

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