वट पूर्णिमा का व्रत रा ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन यानी 3 जून को रखा जाएगा। वट पूर्णिमा का व्रत महाराष्ट्र, गुजरात सहित दक्षिण भारत के कई राज्यों में रखा जाएगा। आइए जानते हैं वट पूर्णिमा व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

वट सावित्री का व्रत साल में 2 बार रखा जाता है। पहला ज्येष्ठ अमावस्या और दूसरा ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन रखा जाता है। सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु के लिए इस व्रत को रखती है। इस बार दूसरे ज्येष्ठ अमावस्या के दिन यानी 3 जून को वट पूर्णिमा का व्रत किया जाएगा। इस दिन वट वृक्ष की पूजा कर महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र की कामना करते हैं। साथ ही दांपत्य जीवन में खुशहाली बनी रहती है।

पूजा के लिए शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, वट पूर्णिमा का व्रत शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन रखा जाता है। वट पूर्णिमा व्रत की पूजा के लिए 3 जून को सुबह और दोपहर में अच्छा मुहूर्त है। सुबह के समय पूजा के लिए 7 बजकर 7 मिनट से 8 बजकर 51 मिनट तक मुहूर्त रहेगा। इसके बाद दोपहर में 12 बजकर 20 मिनट से 2 बजकर 2 मिनट तक रहेगा। बता दें कि वट पूर्णिमा का व्रत मुख्य रूप से गुजरात, महाराष्ट्र समेत दक्षिण भारत के राज्यों में मनाया जाता है।

वट पूर्णिमा पूजन विधि

वट पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठने और स्नान आदि के बाद सुहागन महिलाएं पूजा के लिए अपनी थाली में रोली, चंदन, फूल, धूप, दीप आदि सब रख लें। इसके बाद सभी सामग्री वट वृक्ष पर अर्पित कर दें। साथ ही कच्चे सूत स वट की परिक्रमा करें। इसके बाद वट वृक्ष के नीचे बैठकर सत्यवान सावित्री की कथा पढ़ें। इस व्रत का पारण अगले दिन सात चने के दाने और पानी के साथ किया जाता है।

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