स्वस्ति श्रीगणनायको गजमुखो मोरेश्वरः सिद्धिदः
बल्लाळस्तु विनायकस्तथ मढे चिन्तामणिस्थेवरे ।

लेण्याद्रौ गिरिजात्मजः सुवरदो विघ्नेश्वरश्चोझरे
ग्रामे रांजणसंस्थितो गणपतिः कुर्यात् सदा मङ्गलम् ॥

इति अष्टविनायकस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।
श्री अष्टविनायक स्तोत्रम्  Shri Ashtavinayaka Stotram


आपने श्री अष्टविनायक स्तोत्रम् का उल्लेख किया है।

अष्टविनायक गणेश जी के आठ स्वरूपों का एक समूह है, जिनकी पूजा महाराष्ट्र में विशेष रूप से की जाती है। ये आठ स्वरूप हैं:

1. मोरेश्वर: पुणे के मोरगांव में स्थित।
2. सिद्धिविनायक: मुंबई में स्थित।
3. विघ्नेश्वर: महाराष्ट्र के लेणी में स्थित।
4. बालाजी विनायक:महाराष्ट्र के कल्याण में स्थित।
5. वराद विनायक: महाराष्ट्र के महाबलेश्वर में स्थित।
6. गणेशपुरी: महाराष्ट्र के रायगढ़ में स्थित।
7. मांगेश:महाराष्ट्र के गोवा में स्थित।
8. छत्रपति: महाराष्ट्र के रायगढ़ में स्थित।

अष्टविनायक स्तोत्रम् इन आठों स्वरूपों की स्तुति करने वाला एक मंत्र है। यह स्तोत्र भक्तों को इन देवताओं की कृपा प्राप्त करने और अपने जीवन में सफलता पाने में मदद करता है।

स्तोत्र का महत्व

विघ्न निवारण:यह स्तोत्र जीवन में आने वाले सभी प्रकार के विघ्नों को दूर करने में मदद करता है।
सफलता: यह स्तोत्र भक्तों को अपने जीवन में सफलता दिलाता है।
ज्ञान:यह स्तोत्र भक्तों को ज्ञान और बुद्धि प्रदान करता है।
समृद्धि:यह स्तोत्र भक्तों को धन और समृद्धि प्रदान करता है।

स्तोत् का पाठ कैसे करें

आप इस स्तोत्र का पाठ किसी भी समय कर सकते हैं। लेकिन इसे सुबह के समय उठकर स्नान करने के बाद करना अधिक फलदायी होता है।







अष्टविनायक

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