हेम माली की मुक्ति:
योगिनी एकादशी की कथा, हेम माली नामक एक भक्त की कहानी है, जो भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था। हेम माली कुबेर देवता के लिए फूलों की माला बनाता था। एक बार, जब वह माला भगवान कुबेर के लिए ले जा रहा था, तो रास्ते में उसकी मुलाकात एक अत्यंत सुंदर स्त्री से हुई। हेम उस स्त्री की सुंदरता से मोहित हो गया और उसे देखने में मग्न हो गया। इस कारण वह समय पर माला कुबेर देवता तक नहीं पहुंचा सका। देर से पहुंचने पर कुबेर देवता क्रोधित हो गए और उन्होंने हेम को शाप दे दिया कि वह स्वर्ग से पृथ्वी पर गिर जाएगा और उसे कोढ़ रोग हो जाएगा।
हेम माली शापित होकर पृथ्वी पर आ गिरा और उसे कोढ़ रोग हो गया। बीमारी से पीड़ित होकर उसने कई डॉक्टरों का इलाज कराया लेकिन उसे कोई आराम नहीं मिला। निराश होकर वह जंगल में जा कर रहने लगा। एक दिन वहां उसे एक ऋषि मिले। ऋषि ने उसकी दु:खी कहानी सुनी और उसे सलाह दी कि वह योगिनी एकादशी का व्रत रखे। हेम माली ने ऋषि की बात मानी और योगिनी एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ रखा।
व्रत का फल:
एकादशी के बाद द्वादशी के दिन हेम माली ने भगवान विष्णु की पूजा की और उनसे क्षमा प्रार्थना की। भगवान विष्णु उसकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उसे शाप से मुक्ति दे दी। हेम माली का कोढ़ रोग ठीक हो गया और वह फिर से स्वस्थ हो गया। इस प्रकार योगिनी एकादशी के व्रत द्वारा हेम माली को मोक्ष की प्राप्ति हुई।
कथा का सार:
योगिनी एकादशी की यह कथा हमें यह शिक्षा देती है कि भगवान विष्णु अपने भक्तों की सदैव रक्षा करते हैं। चाहे उनके भक्त कितने भी पापी क्यों न हो लेकिन यदि वे सच्चे मन से भगवान की भक्ति करते हैं तो भगवान उनकी सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति भी कराते हैं।