भगवान शिव जी की हर प्रतिमा में उनके मस्तक पर एक आंख दिखाई देती है। इसे भोलेनाथ की तीसरी आंख कहते हैं। भगवान शिव के मस्तक पर तीसरी आंख है, इसलिए उन्हें त्रिलोचन भी कहा जाता है। वैसे क्या आप जानते हैं कि शिव जी को यह तीसरी आंख कैसे मिली? इस घटना के पीछे एक कहानी है, जिसमें शिव जी की तीसरी आंख का रहस्य और महत्व दोनों पता चलता है।

एक समय की बात है, भगवान शिव कैलाश पर्वत पर तपस्या कर रहे थे, तभी देवी पार्वती वहां आईं। देवी पार्वती को मजाक सूझा और उन्होंने अपने दोनों हाथों से अपने पति शिव की आंखों को ढक लिया। देवी पार्वती को जरा भी अंदाजा नहीं था कि उनके इस मजाक का क्या परिणाम होगा।

जैसे ही पार्वती जी ने भगवान शिव की आंखों को ढका, वैसे ही पूरी सृष्टि में अंधेरा छा गया। सभी लोग अंधेरे से घबरा उठे। शिव जी से लोगों की यह हालत छुप नहीं सकी और उन्होंने अपने मस्तक पर एक आंख उत्पन्न कर ली। भगवान शिव की तीसरी आंख खुलते ही सारे लोकों में उजाला हो गया। तब से शिव जी की तीसरी आंख को प्रकाश और ऊर्जा का प्रतीक माना जाने लगा।

भगवान शिव इस घटना के बाद पार्वती जी को बताते हैं कि उनकी दो आंखे पूरी सृष्टि की पालनहार हैं और तीसरी आंख प्रलय का कारण। शास्त्रों में भी कहा गया है कि जब भी भगवान शिव अपनी तीसरी आंख खोलेंगे, तब संसार को विनाश का सामना करना होगा।

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