इस साल बसंत पंचमी 26 जनवरी को चार शुभ योग में मनायी जायेगी। माघ शुक्ल पंचमी तिथि 25 जनवरी की शाम से ही शुरू हो जाएगी। उदयातिथि के अनुसार बसंत पंचमी 26 जनवरी को मनाई जाएगी। धार्मिक दृष्टिकोण से यह पर्व विद्यार्थियों के लिए विशेष महत्व रखता है। बसंत पंचमी के दिन से ही बसंत ऋतु का आगमन भी हो जाता है। मान्यता है कि इसी दिन सृष्टि पर मां सरस्वती की उत्पत्ति भी हुई थी।
बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा भी कहा जाता है. हर साल माघ शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी होती है. इस दिन विद्यालयों और मंदिरों से लेकर घरों में लोग मां सरस्वती की पूजा करते हैं.
यदि आप बसंत पंचमी के दिन घर पर ही मां सरस्वती पूजा करने वाले हैं तो पहले से ही इसकी तैयारी कर लें और पूजा में प्रयोग होने वाली जरूरी सामग्रियों की सूची तैयार कर बाजार से इसकी खरीदारी भी कर लें. ऐसे में पूजा वाले दिन किसी सामग्री के न होने के कारण पूजा में विघ्न नहीं होगी और पूजा अच्छे से संपन्न होगी.
वसंत पंचमी पर भूलकर भी न करें ये काम
- वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की आराधना की जाती है । इस दिन बिना स्नान किए किसी भी चीज का सेवन न करें। स्नान आदि करने के बाद मां सरस्वती की पूजा करने के बाद ही कुछ ग्रहण करें।
- वसंत पंचमी वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है इसीलिए इस दिन पेड़-पौधों की कटाई-छटाई न करें। वसंत ऋतु के सम्मान के लिए वृक्षों को काटने से बचें।
- धार्मिक मान्यता है कि देवी सरस्वती का जब अवतरण हुआ था तब ब्रह्मांड की आभा लाल, पीली और नीली थी लेकिन सबसे पहले पीली आभा के दर्शन हुए थे। इसीलिए कहते हैं कि देवी सरस्वती को पीला रंग प्रिय है। इसलिए इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है। इसीलिए वसंत पंचमी के दिन भूलकर भी काले, लाल या अन्य रंग बिरंगे वस्त्र नहीं धारण करने चाहिए।
- वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा आराधना होती है। हवन आदि भी किया जाता है। इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करना अच्छा होत है। वसंत पंचमी या सरस्वती पूजा के दिन मांस-मंदिरा से दूरी बनाकर रखें।
- वसंत पंचमी के दिन मन में कोई भी गलत विचार न लाएं और न ही किसी व्यक्ति को अपशब्द कहें। जितना संभव हो मां सरस्वती कि वंदना करें और सरस्वती मंत्र का जाप करें।
विशेषकर विद्यार्थियों, कला व संगीत क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए बसंत पंचमी का दिन बेहद खास होता है। बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का भी विशेष महत्व होता है। विद्या आरंभ या फिर किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत के लिए इस दिन को बेहद उत्तम माना जाता है। इस बार चार शुभ योग में बसंत पंचमी मनायी जाएगी। विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा को ले गांव-मुहल्ले की पूजा समितियां तैयारी में जुट गई हैं। विद्यालयों में भी विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा की तैयारी जोर- शोर से की जा रही है। पूजा को ले विद्यालयों में गीत-संगीत, नुक्कड़ नाटक, एकांकी, चित्रकारी, पेंटिंग, दौड़कूद प्रतियोगिताओं का पूर्वाभ्यास बच्चों की ओर से की जा रही है।
सरस्वती पूजा के लिए ये सामग्रियां है जरूरी
- पीले रंग के फूल और माला
- लकड़ी की चौकी
- पीले रंग का कपड़ा बिछाने के लिए
- सफेद तिल के लड्डू
- सफेद धान के अक्षत
- पके हुए केले की फली का पिष्टक
- आम के पत्ते
- बैठने के लिए आसन
- धूप या अगरबत्ती
- घी
- दीपक और बाती
- मौसमी फल
- गुड़
- हल्दी, कुमकुम
- जल के लिए कलश या पात्र
- माचिस
- देवी सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर
- नारियल
- भोग के लिए मिष्ठान, केसर का हलवा या फिर केसरिया भोग
- सुपारी
- पूजा के लिए थाली
घर पर कैसे करें देवी सरस्वती की पूजा
बसंत पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत होकर साफ कपड़े पहनें. संभव हो तो इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनें. अब पूजा मंदिर या पूजास्थल की साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़कर इस जगह की शुद्धि कर लें. पूजा की चौकी पर पील रंग का कपड़ा बिछाएं और देवी सरस्वती की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें.
देवी सरस्वती के बगल में भगवान गणेश की मूर्ति भी जरूर रखें. चौकी के पास अपनी किताबें या कला से जुड़ी चीजें भी रखें. एक कलश में जलभरकर रखें और इसमें आम के पांच पत्ते की डली डालें और ऊपर नारियल रख दें. देवी सरस्वती को हल्दी, कुमकुम का तिलक लगाएं. पीले फूलों की माला पहनाएं और वस्त्र अर्पित करें. साथ ही साथ भगवान गणेश की भी पूजा करें.
पूजा में अक्षत, फल, सुपारी और भोग आदि अर्पित करें और फिर धूप-दीप जलाएं. हाथ जोड़कर सरस्वती मंत्र का जाप करें. अब आखिर में आरती करें और आशीर्वाद लें. इस दिन सरस्वती वंदना करना भी शुभ होता है. पूजा समाप्त होने के बाद भोग का वितरण करें.