भारत में ऐसे कई पुराने मंदिर हैं, जिनका इतिहास अति प्राचीन है। इनकी सुंदरता और प्रसिद्धि आज भी बरकरार है। आइए जानें इन मंदिरों के बारे में
भारत की संस्कृति और आध्यात्मिकता की चर्चा विश्व भर में फैली हुई हैं। विभिन्न धर्मों के संगम की धरती भारत में एक से बढ़कर एक पुराने व भव्य कलात्मक मंदिर हैं, जिनकी सुंदरता देखने लायक है। हजारों साल पुराने इन मंदिरों की खूबसूरती व समृद्धि को देखकर आप भारत के विशाल इतिहास का अंदाजा लगा सकते हैं। इन मंदिरों की नक्काशी में भारतीय संस्कृति, कला व सौंदर्य का अनूठा संगम है, जिन्हें देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। आइए जानें भारत के प्राचीन और मशहूर इन मंदिरों के बारे में
बृहदेश्वर मंदिर, तमिलनाडु
तमिलनाडु के तंजौर में स्थित बृहदेश्वर मंदिर हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर है। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर को 1002 ईस्वी में चोल शासक राजाराज चोल प्रथम ने निर्माण करवाया था। यह मंदिर द्रविड़ शैली का अनूठा उदाहरण है। इस मंदिर के शीर्ष की ऊंचाई 66 मीटर है। इसकी प्रसिद्धि को देखने लोग मीलों दूरी का सफर तय करते हैं। यह मंदिर अपने समय में विश्व की विशालतम संरचनाओं में गिना जाता था।
चेन्नाकेशव मंदिर, कर्नाटक
कर्नाटक के बैलूर में स्थित चेन्नाकेशव मंदिर होयलस काल में बनाया गया है। यगाची नदी के किनारे स्थित यह मंदिर द्रविड़ शैली पर अधारित है। विष्णु भगवान को समर्पित इस मंदिर की दीवारों पर पौराणिक के पात्रों का चित्रांकन किया गया है। इसकी संरचना इतनी भव्य है कि इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा मान्यता दी गई है। इसके तीन प्रवेश द्वारों में से पूर्वी प्रवेश द्वार सबसे अच्छा माना जाता है। इस मंदिर को विजयनगर के शासकों द्वारा चोलों पर उनकी विजय को दर्शाने के लिए बनाया गया था।
दिलवाड़ा मंदिर, राजस्थान
राजस्थान के सिरोही जिले के माउंट आबू नगर में स्थित दिलवाड़ा मंदिर पांच मंदिरों का समूह है, जिसका निर्माण 11वीं और 13वीं शताब्दी के बीच हुआ था। जैन धर्म को समर्पित यह मंदिर में 48 स्तम्भ हैं, जिनमें नृत्यांगनाओं की बनी आकृतियां हैं, जो सबको अपनी और आकर्षित करती हैं। इस मंदिर की निर्माण कला अति उत्तम और दर्शनीय है। यह मंदिर जैन धर्म के सबसे सुंदर तीर्थ स्थलों में शामिल है
द्वारकाधीश मंदिर
भगवान श्री कृष्ण को समर्पित द्वारकाधीश मंदिर को जगत मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। गुजरात में मौजूद इस मंदिर को चार धाम यात्रा में शामिल किया गया है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 2500 साल पुराना है। यह इतना पुराना है कि इस मंदिर की चर्चा पुरातात्विक तथ्यों में भी देखने को मिलता है। यह मंदिर पांच मंजिला है, जिसमें लगभग 72 खंभे हैं। इस मंदिर की विशालता अति प्राचीन है।
श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर
तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में स्थित श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित एक विशाल व प्राचीन मंदिर है। ये मंदिर 108 दिव्य मंदिरों में से एक है। दक्षिण भारत के सबसे खूबसूरत और भव्य मंदिरों में शामिल इस मंदिर को छठी और नौवीं शताब्दी के बीच बनवाया गया था। यह लगभग 156 एकड़ में फैला हुआ है, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर भी माना जाता है। इसकी सुंदरता देखने योग्य है।
सोमनाथ मंदिर गुजरात
सोमनाथ भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम हैं। गुजरात में स्थित इस मंदिर को 7वीं शताब्दी में बनवाया गया था। इस मंदिर का निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था। इस वैभवशाली मंदिर को कई बार तोड़ा गया। फिर भी इस मंदिर की विशालता और भव्यता आज भी कायम है। ऋग्वेद में भी इस मंदिर का उल्लेख किया गया है।
ब्रह्मा मंदिर, राजस्थान
राजस्थान के पुष्कर में स्थित इस मंदिर की संरचना 14वीं शताब्दी की मानी जाती है। इस मंदिर को करीब 2000 साल पुराना बताया जाता है। इस मंदिर के बीचों-बीच ब्रह्मा और उनकी दूसरी पत्नी गायत्री की मूर्ति है। आपको बता दें कि यह मंदिर भारत का एक मात्र ब्रह्मा मंदिर है, जहां हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। यहां पर साल में दो बार मेले का भी आयोजन होता है, जिसमें देश-विदेश के बहुत सारे तीर्थ यात्री और पर्यटक भाग लेते हैं
लिंगराज मंदिर, भुवनेश्वर
ओडिशा के भुवनेश्वर में स्थित लिंगराज मंदिर भारत के प्राचीन मंदिरों में से एक है। इसका निर्माण सोमवंशी राजा जजति केशरि ने 11वीं शताब्दी में करवाया था। भगवान शिव के एक रूप हरिहारा को समर्पित यह मंदिर काफी विशाल है। इसकी अनुपम स्थापत्य कला बेहद अट्रैक्टिव है, जिसे देखने भारत के कोने-कोने से लोग आते हैं।
कैलाश मंदिर, महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित यह दो मंजिला मंदिर एक ही पत्थर को काटकर बनाया गया है। यह मंदिर एलोरा की गुफाओं में स्थित है। लगभग 12 हजार साल पुराने इस मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूट वंश के शासकों ने करवाया था। इसे बनाने में करीब 150 साल लगे और 7000 मजदूरों ने इस पर लगातार काम किया। यह मंदिर प्राचीन भारतीय सभ्यता का जीवंत प्रदर्शन करता हुआ नजर आता है। दुनिया भर में एक ही पत्थर की शिला से बनी हुई सबसे बड़ी मूर्ति के लिए यह मंदिर मशहूर है।