सनातन पंरपरा में द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजन का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है
सनातन पंरपरा में द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजन का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है. देश के प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा विश्वनाथ जो कि पूरे जगत के नाथ कहलाते हैं, उनका मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में स्थित है. हिंदू धर्म में प्राचीन सप्तपुरियों में से एक काशी या फिर कहें वारणसी शहर के बारे में मान्यता है कि वह भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी हुई है और प्रलय आने के बाद भी यहीं बनी रहती है. जिस काशी नगरी में बाबा विश्वनाथ विराजते हैं, उसकी महिमा इतनी निराली है कि देश-दुनिया का आदमी यहां हर रोज खिंचा चला आता है. सावन के महीने में बाबा विश्वनाथ के धाम पर भक्तों की भारी भीड़े जुटती है. आइए तीन लोकों से न्यारी माने जाने वाली काशी और वहां विराजने वाले विश्व के नाथ यानि बाबा विश्वनाथ से जुड़ी अनसुनी बातों को विस्तार से जानते हैं.
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में बाबा विश्वनाथ का नौवां स्थान है. जिनके बारे में मान्यता है कि उनकी स्थापना किसी व्यक्ति या देवता द्वारा नहीं हुई बल्कि यहां पर उनका स्वयं प्राकट्य हुआ है. मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ के मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में राजा विक्रमादित्य ने करवाया था. जिसके बाद मुगल शासकों द्वारा कई बार तोड़ने के बाद दोबारा निर्माण करवाया गया. मान्यता है कि वर्तमान में मंदिर का जो स्वरूप है उसे इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने बनवाया था. जिसका हाल ही में विस्तार और सौंदर्यीकरण हुआ है.
मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ के इस पावन धाम की रक्षा खुद काल भैरव कहते हैं, जिन्हें काशी का कोतवाल कहा जाता है, जिनके दर्शन के बगैर इस ज्योतिर्लिग की पूजा अधूरी मानी जाती है. हालांकि कुछ लोगों की मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ के दर्शन से पहले भगवान भैरव के दर्शन करना चाहिए. मान्यता है कि जहां शिव होते हैं, वहां पर शक्ति भी किसी न किसी रूप में अवश्य निवास करती हैं. बहुत कम लोग जानते हैं कि काशी में न सिर्फ ज्योतिर्लिंग बल्कि शक्त्पिीठ भी स्थित है. बाबा विश्वनाथ के मंदिर के पास में ही मां विशालाक्षी का मंदिर है जो देश के उन 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहां पर माता सती के अंग गिरे थे.
काशी विश्वनाथ मंंदिर के गुंबद में लगे श्रीयंत्र के बारे में मान्यता है कि जो कोई भक्त उस ओर देखकर बाबा विश्वनाथ से प्रार्थना करता है, औढरदानी शिव शीध्र ही उसकी मनोकामना को पूरी करते हैं. काशी विश्वनाथ मंदिर की पूजा के बारे में मान्यता है कि जो कोई शिव भक्त यहां आकर बाबा विश्वनाथ के ज्योतिर्लिंग का स्पर्श, पूजन आदि करता है, उसे राजसूय यज्ञ का पुण्य फल प्राप्त होता है. काशी एक मात्र स्थान है, जहां गंगा उत्तर वाहिनी है. यहां पर गंगा के कई घाट हैं. काशी में होने वाली मां गंगा की आरती और इसके पावन घाट को देखने के लिए देश-दुनिया से लोग प्रतिदिन पहुंचते हैं.
देवों के देव महादेव की नगरी काशी के बारे में मान्यता है कि यहां पर प्राण त्यागने वाले व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि काशी में रहने वाले भक्त को भगवान शिव खुद तारक मन्त्र देकर उन्हें मुक्ति प्रदान करते हैं. यही कारण है कि बहुत से लोग जीवन के अंतिम पड़ाव में बाबा विश्वनाथ की नगरी में आकर बसना चाहते हैं. पवित्र और प्राचीन नगरी काशी के बारे में मान्यता है कि यहां पर कण-कण में शिव का वास है. मान्यता यह भी है कि यहां पर 30 करोड़ देवी देवता निवास करते है. यही कारण है कि बनारस को मंदिरों का शहर कहा जाता है, जिसमें अलग-अलग देवी-देवता विराजते हैं.