गोपिकाविरहगीतम् | Gopika Viraha Gitam
Gopika Viraha Gitam (गोपिकाविरहगीतम्)
गोपिका विरह गीत
एहि मुरारे कुंजविहरे एहि प्रणत जन बन्धो
हे माधव मधुमथन वरेण्य केशव करुणा सिंधो
रास निकुंजे गुन्जित नियतम भ्रमर शतम किल कांत
एहि निभ्रित पथ पंथ
त्वमहि याचे दर्शन दानम हे मधुसूदन शान्त
सुन्यम कुसूमासन मिह कुंजे सुन्यम केलि कदम्ब
दीनः केकि कदम्ब
मृदु कल ना दम किल सवि षदम रोदित यमुना स्वंभ
नवनीरजधर श्यामल सुंदर चंद्रा कुसुम रूचि वेश
गोपी गण ह्रिदेयेश
गोवर्धन धर वृंदावन चर वंशी धर परमेश
राधा रंजन कान्स निशुदन प्रणति सातवक चरने निखिल निराश्रये शरने
एहि जनार्दन पीतांबर धर कुंजे मन्थर पवने