हर माह में दो बार प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस तरह से साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। शिव भक्तों के लिए यह व्रत बहुत खास माना जाता है। इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। यह व्रत मां पार्वती और भगवान शिव के व्रतों में सर्वोत्तम माना गया है। मान्यता है जो भक्त पूरी श्रद्धा से भगवान शिव का यह प्रदोष व्रत रखता है, उसके जीवन के समस्त कष्टों का निवारण होता है। इस समय भाद्रपद का महीना चल रहा है और इस माह का पहला प्रदोष व्रत 12 सितंबर 2023, मंगलवार के दिन रखा जा रहा है, जिसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाएगा। ऐसे में चलिए जानते है भौम प्रदोष व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

भौम प्रदोष व्रत 2023 तिथि
भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत 12 सितंबर 2023, मंगलवार को रखा जा रहा है। इसकी शुरुआत 11 सितंबर 2023 को रात 11 बजकर 52 मिनट पर शुरू हो रही है और समापन 13 सितंबर 2023 को प्रात: 02 बजकर 21 मिनट पर होगा।

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भौम प्रदोष व्रत 2023 पूजा का मुहूर्त
भौम प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 30 मिनट से रात 08 बजकर 49 मिनट तक है।

प्रदोष व्रत की पूजा सामग्री
पांच फल, पांच मेवा, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुश से बने आसन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगाजल, धूप दीप, रोली, मौली, पांच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, कपूर, चंदन, शिव व माता पार्वती के श्रृंगार की सामग्री आदि

भौम प्रदोष व्रत की पूजा विधि

भौम प्रदोष व्रत दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें।

इसके उपरांत स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

इसके उपरांत घर के मंदिर में दीप जलाएं और व्रत लेने का संकल्प लें।

फिर सायं काल में पुनः मंदिर में दीप जलाएं।

इसके उपरांत सर्वप्रथम भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें, उन्हें पुष्प अर्पित करें।

भौम प्रदोष व्रत के दिन भगवान भोलेनाथ के साथ माता पार्वती और भगवान गणेश की भी आराधना करें।

भगवान शिव को पांच फल, पंच मेवा और पंच मिष्ठान का भोग लगाएं।

आखिर में भगवान शिव की आरती करें।

संभव हो तो पूजन और अभिषेक के दौरान भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करते रहें।

भौम प्रदोष व्रत का महत्व

भाद्रपद में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का खास महत्व होता है. भाद्रपद मास भगवान विष्णु को समर्पित है. ऐसे में इस माह में प्रदोष व्रत करने से भोलेनाथ के साथ-साथ भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. वहीं भौम प्रदोष व्रत में भगवान शंकर के साथ हनुमान जी की पूजा करना भी बेहद शुभ माना जाता है. दरअसल हनुमान जी को भगवान शिव का रुद्रावतार माना जाता है. ऐसे में भौम प्रदोष व्रत के दिन हनुमान जी और भगवान शिव की पूजा करने से हर कष्ट से मुक्ति मिलती है. कुंडली में मांगलिक दोष वाले लोगों के लिए ये व्रत काफी लाभदायक है. इसके अलावा मंगल ग्रह शांति के लिए भी ये व्रत काफी शुभ है. इस व्रत को करने से बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है.

पूजा विधि

भौम प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान करें और हनुमान जी की विधि विधान से पूजा करें. इसके बाद मंदिर में जाकर चोला चढ़ाएं. प्रदोष व्रत की पूजा शाम को होती है, ऐसे में शाम को एक बार फिर नहाएं और भगवान शिव की पूजा करें. शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक करें और फूल अर्पित करें. भगवान शिव के साथ-साथ मां पार्वती और भगवान गणेश की भी पूजा करें.

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