फाल्गुन माह की विजया एकादशी आज 16 फरवरी दिन गुरुवार को है. आज एकादशी व्रत के दिन गुरुवार दिन का शुभ संयोग बना है. गुरुवार व्रत और एकादशी व्रत दोनों ही भगवान विष्णु की पूजा का अवसर हैं. विजया एकादशी का व्रत और विष्णु पूजा करने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है क्योंकि इस व्रत के पुण्य प्रभाव से पाप मिट जाते हैं और भगवान विष्णु की कृपा से कठिन से कठिन कार्यों में विजय प्राप्त होती है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी बता रहे हैं विजया एकादशी का शुभ मुहूर्त, पारण समय, मंत्र, व्रत और पूजा विधि.
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर एक महीने में दो एकादशी का व्रत आता है जो एक शुक्ल पक्ष में जबकि दूसरा कृष्ण पक्ष को पड़ता है। हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी मनाई जाएगी। इस एकादशी में व्रत रखते हुए भगवान विष्णु की पूजा-आराधना विधि विधान से किया जाता है। मान्यता है जो भी इस वियजा एकादशी के दिन पूरे दिन व्रत रखते हुए भगवान विष्णु के नाम का जाप करता है उसको हर एक कार्य में विजय की प्राप्ति होती है। साल भर आने वाली हर एक एकादशी का अपना विशेष महत्व होता है। विजया एकादशी पर भगवान विष्णु का कथा सुनी जाती है जिससे मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं इस विजया एकादशी का महत्व, तिथि, पूजा मुहूर्त और व्रत पारण का समय…
विजया एकादशी पूजा विधि 2022
विजया एकादशी व्रत की पूजा में सात धान रखने का विधान है अतः एक वेदी बनाकर उस पर सप्त धान रखें। इस पर जल कलश स्थापित कर इसे आम या अशोक के पत्तों से सजाएं। तत्पश्चात भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित कर पीले पुष्प,ऋतुफल,तुलसी आदि अर्पित कर धूप-दीप से श्री हरि की आरती उतारें। व्रत की सिद्धि के लिए घी का अखंड दीपक जलाएं ,एवं दीपदान करना शुभ माना गया है। इस दिन हरि भक्तों को परनिंदा,छल-कपट,लालच,द्वेष की भावनाओं से दूर रहकर श्री नारायण को ध्यान में रखते हुए भक्ति भाव से व्रत करना चाहिए।