Vikram Betaal विक्रम बेताल की कहानी: बड़ा बलिदान
एक बार, विक्रम राजा एक जंगल में घूम रहे थे। अचानक, उन्हें एक बेताल मिला। बेताल ने कहा, “हे विक्रम, मैं एक कहानी सुनाना चाहता हूं। अगर तुम मुझे बता सको कि कहानी में सबसे बड़ा बलिदान किसका था, तो मैं तुम्हें आजाद कर दूंगा। लेकिन अगर तुम नहीं बता सको, तो तुम्हें मुझे अपना सिर देना होगा।”
विक्रम को बेताल की कहानी सुनने में दिलचस्पी थी। उन्होंने कहा, “ठीक है, मैं तुम्हारी कहानी सुनने के लिए तैयार हूं।”
बेताल ने कहा, “एक बार की बात है, एक राजा था जिसका नाम रोहण था। उसके पास एक बहुत ही खूबसूरत पत्नी थी जिसका नाम चंद्रमुखी था। चंद्रमुखी को एक डायन ने श्राप दिया था कि वह एक महीने के बाद मर जाएगी। रोहण ने अपनी पत्नी को बचाने के लिए बहुत कोशिश की, लेकिन कोई भी उसे श्राप से नहीं बचा सका।
अंत में, रोहण ने एक निर्णय लिया। उसने कहा, “मैं अपनी पत्नी की जान बचाने के लिए अपना जीवन बलिदान कर दूंगा।”
रोहण ने अपनी पत्नी के सिर पर अपना सिर रख दिया और उसने अपनी जान दे दी। चंद्रमुखी को रोहण की बलिदान से बहुत दुख हुआ। उसने भी अपनी जान दे दी।
अब, बताओ कि इस कहानी में सबसे बड़ा बलिदान किसका था?”
विक्रम ने कुछ देर सोचा, और फिर कहा, “मैं समझता हूं कि रोहण का बलिदान बहुत बड़ा था। उसने अपनी पत्नी की जान बचाने के लिए अपना जीवन दे दिया। लेकिन मैं कहूंगा कि चंद्रमुखी का बलिदान भी उतना ही बड़ा था। उसने अपने पति के बलिदान के बाद अपनी जान दे दी।
दोनों ने एक-दूसरे के लिए बहुत प्यार किया था। रोहण ने अपनी पत्नी को बचाने के लिए अपना जीवन दिया, और चंद्रमुखी ने अपने पति के बलिदान के बाद अपनी जान दे दी। दोनों ने एक-दूसरे के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया। इसलिए, मैं कहूंगा कि इस कहानी में सबसे बड़ा बलिदान दोनों का था।”
बेताल ने कहा, “तुम्हारी बात सही है। इस कहानी में दोनों का बलिदान बहुत बड़ा था। तुमने सही जवाब दिया है। इसलिए, मैं तुम्हें आजाद कर देता हूं।”
बेताल एक झटके में गायब हो गया। विक्रम खुश थे कि उन्होंने बेताल को सही जवाब दिया था। वे अपने रास्ते पर चले गए।
यह कहानी हमें सिखाती है कि प्यार के लिए बलिदान करना सबसे बड़ा बलिदान है।