गंधर्वसेन और काली देवी

Vikram Betaal एक समय की बात है, धर्मपुर नाम के नगर में गंधर्वसेन नाम का युवक रहता था। गंधर्वसेन की कद-काठी बहुत आकर्षक थी। यही कारण था कि कई लड़कियां उससे विवाह करना चाहती थीं, लेकिन गंधर्वसेन को उनमें से एक भी लड़की पसंद नहीं थी। ब्राहमण पुत्र गंधर्वसेन जब अपने घोड़े पर सवार होकर नगर में निकलता था तो सारी लड़कियां उसे देखती रह जातीं। गंधर्वसेन किसी की तरफ नहीं देखता और तेज गति से नगर को पार करके रोजाना एक मंदिर की ओर निकल जाता था। यह मंदिर काली देवी का मंदिर था। गंधर्वसेन काली मां का बहुत बड़ा भक्त था। वो हर दिन मां काली की पूजा किया करता था।

एक दिन, गंधर्वसेन मंदिर में पूजा कर रहा था कि अचानक उसे एक स्वर सुनाई दिया। स्वर ने कहा, “गंधर्वसेन, तुम्हारी भक्ति मुझे बहुत अच्छी लगती है। मैं तुम्हारी एक इच्छा पूरी करूंगी।”

गंधर्वसेन बहुत खुश हुआ। उसने कहा, “माँ, मैं आपकी बहुत आभारी हूं। मेरी एक इच्छा है कि मुझे आपकी एक सच्ची भक्त पत्नी मिल जाए।”

काली माता ने कहा, “तुम्हारी इच्छा पूरी होगी।”

कुछ दिनों बाद, गंधर्वसेन मंदिर में पूजा कर रहा था कि उसे एक सुंदर युवती दिखाई दी। युवती ने गंधर्वसेन से कहा, “मैं तुम्हारी पत्नी बनने के लिए तैयार हूं।”

गंधर्वसेन बहुत खुश हुआ। उसने युवती से उसका नाम पूछा। युवती ने कहा, “मेरा नाम विद्या है।”

विद्या और गंधर्वसेन का विवाह हो गया। विद्या एक बहुत ही सुंदर और बुद्धिमान युवती थी। वह गंधर्वसेन की बहुत अच्छी पत्नी बनी। गंधर्वसेन और विद्या बहुत खुशी-खुशी साथ रहने लगे।

एक दिन, गंधर्वसेन और विद्या मंदिर में पूजा कर रहे थे कि अचानक एक राक्षस ने मंदिर पर हमला कर दिया। राक्षस बहुत शक्तिशाली था। उसने गंधर्वसेन और विद्या को मारने की कोशिश की।

विद्या ने गंधर्वसेन को बचाने के लिए अपने प्राण त्याग दिए। गंधर्वसेन बहुत दुखी हुआ। उसने काली माता से विद्या को वापस जीवित करने की प्रार्थना की।

काली माता ने गंधर्वसेन की प्रार्थना सुन ली। उन्होंने विद्या को वापस जीवित कर दिया। गंधर्वसेन और विद्या बहुत खुश हुए। वे काली माता का आभार व्यक्त करने लगे।

काली माता ने कहा, “मैं तुम्हारी भक्ति से बहुत प्रसन्न हूं। मैं तुम्हें एक वरदान दूंगी।”

गंधर्वसेन ने कहा, “माँ, मुझे कोई वरदान नहीं चाहिए। बस मेरी पत्नी विद्या हमेशा मेरे साथ रहे।”

काली माता ने कहा, “तुम्हारी इच्छा पूरी होगी।”

गंधर्वसेन और विद्या का जीवन सुख-शांति से बीतने लगा। वे काली माता के भक्त बने रहे।

शिक्षा

इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि सच्ची भक्ति से कोई भी इच्छा पूरी हो सकती है।

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