(Vikram Betaal) एक बार की बात है, काशी में एक राजा था, जिसका नाम प्रताप मुकुट था। उसकी एक संतान थी, जिसका नाम वज्रमुकुट था। वज्रमुकुट एक साहसी और न्यायप्रिय राजकुमार था। एक दिन, वह अपने दीवान के बेटे के साथ शिकार करने जंगल गया। काफी घूमने के बाद उन दोनों को एक तालाब दिखा, जिसमें कमल खिले थे और हंस उड़ रहे थे। दोनों दोस्तों ने वहां रुककर तालाब के पानी से हाथ-मुंह धोया और पास ही बने महादेव के मंदिर में दर्शन करने चले गए।

मंदिर में दर्शन करने के बाद, वे दोनों एक पेड़ के नीचे बैठ गए। तभी, एक सुंदर राजकुमारी वहां आई। राजकुमारी ने कमल के फूल को बालों से निकालकर कानों से लगाया, फिर दांत से कुतरा, फिर पांव से दबाया और अंत में सीने से लगा लिया। दीवान का बेटा राजकुमारी के इस इशारे को समझ गया और उसने राजकुमार को बताया कि राजकुमारी का कहना है कि वह कर्नाटक से है। उसके पिता का नाम दंतावट है। उसका नाम पद्मावती है और अब वह राजकुमार के हृदय में बस चुकी है।

यह सुनकर राजकुमार बहुत खुश हुआ। उसने दीवान के बेटे से कहा कि उसे कर्नाटक जाना है। दीवान का बेटा राजकुमार को कर्नाटक ले गया। जब वे दोनों राजमहल के निकट पहुंचे, तो उन्हें एक चरखा चलाती बुजुर्ग महिला दिखी। राजकुमार ने महिला से पूछा कि क्या वह पद्मावती की मां है? महिला ने कहा कि हां, वह पद्मावती की मां है।

राजकुमार ने महिला से कहा कि वह पद्मावती से शादी करना चाहता है। महिला ने राजकुमार से कहा कि वह पद्मावती की शादी किसी ऐसे व्यक्ति से करेगी जो उसे कमल के फूल से तीन इशारे समझा सके। राजकुमार ने महिला से कहा कि वह उसे समझा सकता है।

महिला राजकुमार को अंदर ले गई और पद्मावती से मिलवाया। राजकुमार ने पद्मावती को कमल के फूल से तीन इशारे समझा दिए। पद्मावती राजकुमार से शादी करने के लिए राजी हो गई।

राजकुमार और पद्मावती की शादी धूमधाम से हुई। राजकुमार और पद्मावती बहुत खुश थे। वे दोनों एक साथ रहते थे और प्रेम से जीवन बिताते थे।

बेताल का प्रश्न

कहानी सुनाकर बेताल ने राजा विक्रमादित्य से पूछा, “राजन, इस कहानी में पापी कौन है?”

राजा विक्रमादित्य ने सोच-समझकर कहा, “इस कहानी में तीन पापी हैं। पहले पापी वह राजकुमार है, जिसने पद्मावती को छुपकर देखा। दूसरे पापी वह दीवान का बेटा है, जिसने राजकुमार को राजकुमारी के इशारे समझा दिए। तीसरे पापी वह बुजुर्ग महिला है, जिसने राजकुमार को पद्मावती से शादी करने के लिए चुनौती दी।”

बेताल ने राजा विक्रमादित्य की प्रशंसा की और कहा, “राजन, तुमने सही उत्तर दिया है। इस कहानी में तीनों पापी हैं।”

कहानी का सार

यह कहानी हमें सिखाती है कि छुपकर देखना, दूसरों के इशारे समझाना और दूसरों को चुनौती देना पाप है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Open chat
सहायता
Scan the code
KARMASU.IN
नमो नमः मित्र
हम आपकी किस प्रकार सहायता कर सकते है