Vikram Betaal एक समय की बात है, एक नगर में चार ब्राह्मण भाई रहते थे। उनके नाम थे, चंद्र, मंगल, बुध और गुरु। चारों भाई बहुत ही विद्वान और धर्मात्मा थे। वे अपने पिता की मृत्यु के बाद उनके धन को चार बराबर हिस्सों में बांटकर अलग-अलग जगहों पर रहने लगे।

चंद्र एक नगर में रहने लगा। वह बहुत ही गरीब था। वह एक छोटे से मंदिर में पुजारी बन गया। मंगल एक दूसरे नगर में रहने लगा। वह एक व्यापारी बन गया। बुध एक तीसरे नगर में रहने लगा। वह एक किसान बन गया। गुरु एक चौथे नगर में रहने लगा। वह एक राजा का मंत्री बन गया।

एक दिन, चारों भाई एक-दूसरे से मिलने के लिए एक स्थान पर मिले। उन्होंने एक दूसरे से अपने जीवन के बारे में बात की। चंद्र ने बताया कि वह बहुत ही गरीब है। उसके पास खाने के लिए भी पैसे नहीं हैं। मंगल ने बताया कि वह बहुत ही अमीर है। उसके पास बहुत सारा धन और संपत्ति है। बुध ने बताया कि वह बहुत ही खुश है। उसके पास एक सुंदर पत्नी और बच्चे हैं। गुरु ने बताया कि वह बहुत ही परेशान है। उसे अपने राजा से बहुत काम मिलता है और उसे बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं।

चारों भाई एक दूसरे की कहानी सुनकर बहुत दुखी हुए। उन्होंने फैसला किया कि वे अपने जीवन में कुछ ऐसा करेंगे कि वे सभी खुश हो सकें।

चंद्र ने सोचा कि वह एक पुस्तक लिखेगा जिसमें सभी धर्मों के बारे में जानकारी होगी। वह चाहता था कि सभी लोग एक-दूसरे के धर्मों का सम्मान करें। मंगल ने सोचा कि वह एक स्कूल खोलेगा जिसमें सभी बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाएगी। वह चाहता था कि सभी बच्चे शिक्षित हों। बुध ने सोचा कि वह एक अस्पताल खोलेगा जिसमें सभी लोगों का मुफ्त इलाज किया जाएगा। वह चाहता था कि सभी लोग स्वस्थ हों। गुरु ने सोचा कि वह एक मंदिर बनाएगा जिसमें सभी लोग आकर भगवान की पूजा कर सकें। वह चाहता था कि सभी लोग भगवान की कृपा प्राप्त करें।

चारों भाई ने अपने फैसले को अमल में लाया। उन्होंने बहुत मेहनत की और अपने लक्ष्यों को प्राप्त किया। चंद्र की पुस्तक बहुत प्रसिद्ध हुई। मंगल के स्कूल में बहुत सारे बच्चे पढ़ने लगे। बुध के अस्पताल में बहुत सारे लोगों का इलाज हुआ। गुरु के मंदिर में बहुत सारे लोग भगवान की पूजा करने लगे।

चारों भाई बहुत खुश थे। वे जानते थे कि उन्होंने अपने जीवन में कुछ ऐसा किया है जिससे सभी लोग खुश हो सके हैं।

Vikram Betaal बेताल का सवाल

बेताल ने विक्रमादित्य से पूछा, “राजन, बताओ कि चारों भाईयों में से सबसे ज्यादा खुश कौन था?”

विक्रमादित्य ने कहा, “सबसे ज्यादा खुश चंद्र था। उसने एक ऐसी पुस्तक लिखी थी जिससे सभी धर्मों के लोग एक-दूसरे के धर्मों का सम्मान करने लगे। इससे दुनिया में शांति और सद्भाव फैला।”

बेताल ने कहा, “तुमने सही कहा। चंद्र सबसे ज्यादा खुश था।”

बेताल ने विक्रमादित्य को छोड़ दिया और पेड़ पर लटक गया।

विचार

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जो लोग दूसरों की मदद करने के लिए अपना जीवन समर्पित करते हैं, वे ही सबसे ज्यादा खुश होते हैं। वे अपने जीवन में सच्ची सफलता प्राप्त करते हैं।

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