Utpanna Ekadashi उत्पन्ना एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।

उत्पन्ना एकादशी का महत्व

उत्पन्ना एकादशी को कई नामों से जाना जाता है, जैसे कि “उत्पन्न एकादशी”, “उत्तम एकादशी”, “कल्याण एकादशी” और “अमृत एकादशी”। इस दिन व्रत रखने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

देवशयनी एकादशी व्रत कथा (Devshayani Ekadashi Vrat Katha)

उत्पन्ना एकादशी की पूजा

उत्पन्ना एकादशी की पूजा सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके की जाती है। फिर, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित किया जाता है। प्रतिमा या तस्वीर को फूल, माला, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से सजाया जाता है। फिर, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। पूजा में भगवान विष्णु के 108 नामों का जाप किया जाता है। पूजा के बाद, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को प्रसाद अर्पित किया जाता है। प्रसाद में खीर, दूध, फल, मिठाई आदि शामिल होते हैं।

उत्पन्ना एकादशी 2023 मुहूर्त (Utpanna Ekadashi 2023 Muhurat)

पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 8 दिसंबर 2023 को सुबह 05 बजकर 06 मिनट पर शुरू होगी और 9 दिसंबर 2023 को सुबह 06 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी.

श्रीहरि की पूजा का समय – सुबह 07.01 – सुबह 10.54

उत्पन्ना एकादशी 2023 व्रत पारण समय (Utpanna Ekadashi 2023 Vrat Parana Time)

उत्पन्ना एकादशी का व्रत अगले दिन सुबह सूर्योदय के बाद खोला जाता है। व्रत पारण के समय भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। फिर, भगवान विष्णु की कथा सुनी जाती है। कथा सुनने के बाद, प्रसाद ग्रहण किया जाता है।

उत्पन्ना एकादशी का व्रत पारण 9 दिसंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट से दोपहर 03 बजकर 20 मिनट पर किया जाएगा. इस दिन हरि वासर समाप्त होने का समय दोपहर 12.41 है.

उत्पन्ना एकादशी 2023 डेट (Utpanna Ekadashi 2023 Date)

Utpanna Ekadashi उत्पन्ना एकादशी 8 दिसंबर 2023 को है. इस दिन देवी एकादशी का प्राकट्य हुआ था. देवी एकादशी ने मुर नाम के राक्षस का इंद्रदेव को और समस्त स्वर्गवासियों को बचाया था.

उत्पन्ना एकादशी की कथा

उत्पन्ना एकादशी की कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने एक बार राजा त्रिविक्रम को एकादशी व्रत करने का उपदेश दिया। राजा त्रिविक्रम ने एकादशी व्रत किया और भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें सभी पापों से मुक्ति प्राप्त हुई और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई।

उत्पन्ना एकादशी का व्रत सभी के लिए फलदायी है। इस दिन व्रत रखने से सभी पापों का नाश होता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

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