Santoshi Mata Aarti:संतोषी माता की आरती के लाभ
Santoshi Mata Aarti:संतोषी माता हिंदू धर्म में संतोष की देवी के रूप में पूजित हैं। Santoshi Mata Aarti उनकी आरती का पाठ करने से भक्तों को अनेक लाभ मिलते हैं। आइए जानते हैं इन लाभों के बारे में:
- मन की शांति: संतोषी माता की आरती का नियमित पाठ करने से मन शांत होता है और तनाव कम होता है।
- सुख-शांति: माता की कृपा से घर में सुख-शांति का वातावरण बनता है।
- धन-धान्य: संतोषी माता को धन की देवी भी माना जाता है। उनकी पूजा करने से धन में वृद्धि होती है।
- विवाह में सफलता: कुंवारी कन्याओं के विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और उन्हें अच्छा वर मिलता है।
- रोग मुक्ति: माता की कृपा से रोग से मुक्ति मिलती है और स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
- मनोकामना पूर्ण: संतोषी माता की भक्ति करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- संकट निवारण: जीवन में आने वाले संकटों से मुक्ति मिलती है।
Santoshi Mata Aarti:कब करें आरती:
- शुक्रवार: शुक्रवार का दिन संतोषी माता को समर्पित होता है। इस दिन उनकी पूजा और आरती करने का विशेष महत्व है।
- प्रत्येक दिन: आप रोजाना भी संतोषी माता की आरती कर सकते हैं।
Santoshi Mata Aarti:कैसे करें आरती:
- दीपक जलाएं: आरती करते समय घी का दीपक जलाएं।
- धूपबत्ती जलाएं: शुद्धता के लिए धूपबत्ती जलाएं।
- फूल चढ़ाएं: माता को फूल चढ़ाएं।
- आरती उतारें: आरती की थाली लेकर माता के सामने घुमाएं और आरती गाएं।
Santoshi Mata Aarti:संतोषी माता की आरती के बोल आप आसानी से इंटरनेट पर या किसी भी भजन संग्रह में पा सकते हैं।
नोट: किसी भी देवी-देवता की पूजा करते समय सच्चे मन से की जानी चाहिए।
अन्य जानकारी:
- संतोषी माता व्रत: संतोषी माता का व्रत रखने से भी कई लाभ मिलते हैं।
- संतोषी माता की कहानी: संतोषी माता की कहानी बहुत ही प्रेरणादायक है।
- संतोषी माता मंदिर: भारत में कई जगहों पर संतोषी माता के मंदिर स्थित हैं।
क्या आप संतोषी माता के बारे में और जानना चाहते हैं?
Santoshi Mata Aarti:सन्तोषी माता आरती
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ।
अपने सेवक जन की,
सुख सम्पति दाता ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
सुन्दर चीर सुनहरी,
मां धारण कीन्हो ।
हीरा पन्ना दमके,
तन श्रृंगार लीन्हो ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
गेरू लाल छटा छबि,
बदन कमल सोहे ।
मंद हंसत करुणामयी,
त्रिभुवन जन मोहे ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
स्वर्ण सिंहासन बैठी,
चंवर दुरे प्यारे ।
धूप, दीप, मधु, मेवा,
भोज धरे न्यारे ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
गुड़ अरु चना परम प्रिय,
तामें संतोष कियो ।
संतोषी कहलाई,
भक्तन वैभव दियो ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
शुक्रवार प्रिय मानत,
आज दिवस सोही ।
भक्त मंडली छाई,
कथा सुनत मोही ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
मंदिर जग मग ज्योति,
मंगल ध्वनि छाई ।
विनय करें हम सेवक,
चरनन सिर नाई ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
भक्ति भावमय पूजा,
अंगीकृत कीजै ।
जो मन बसे हमारे,
इच्छित फल दीजै ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
दुखी दारिद्री रोगी,
संकट मुक्त किए ।
बहु धन धान्य भरे घर,
सुख सौभाग्य दिए ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
ध्यान धरे जो तेरा,
वांछित फल पायो ।
पूजा कथा श्रवण कर,
घर आनन्द आयो ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
चरण गहे की लज्जा,
रखियो जगदम्बे ।
संकट तू ही निवारे,
दयामयी अम्बे ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
सन्तोषी माता की आरती,
जो कोई जन गावे ।
रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति,
जी भर के पावे ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ।
अपने सेवक जन की,
सुख सम्पति दाता ॥