Pragnya Vivardhana Karthikeya Stotram:श्रीप्रज्ञा विवर्धन कार्तिकेय स्तोत्र
स्कंद उवाच –
योगीश्वरो महासेनः कार्तिकेयोऽग्निनन्दनः। स्कंदः कुमारः सेनानी स्वामी शंकरसंभवः॥१॥
गांगेयस्ताम्रचूडश्च ब्रह्मचारी शिखिध्वजः। तारकारिरुमापुत्रः क्रोधारिश्च षडाननः॥२॥
शब्दब्रह्मसमुद्रश्च सिद्धः सारस्वतो गुहः। सनत्कुमारो भगवान् भोगमोक्षफलप्रदः॥३॥
शरजन्मा गणाधीशः पूर्वजो मुक्तिमार्गकृत्। सर्वागमप्रणेता च वांछितार्थप्रदर्शनः ॥४॥
अष्टाविंशतिनामानि मदीयानीति यः पठेत्। प्रत्यूषं श्रद्धया युक्तो मूको वाचस्पतिर्भवेत् ॥५॥
महामंत्रमयानीति मम नामानुकीर्तनात्। महाप्रज्ञामवाप्नोति नात्र कार्या विचारणा ॥६॥
!! इति श्री रुद्रयामले प्रज्ञा विवर्धन स्तोत्रं सम्पूर्णम !!
श्रीप्रज्ञा विवर्धन कार्तिकेय स्तोत्र विशेषताए
Pragnya Vivardhana Karthikeya Stotram श्रीप्रज्ञा विवर्धन कार्तिकेय स्तोत्र के साथ-साथ यदि श्री कार्तिकेय अष्टकम का पाठ किया जाए तो, इस स्तोत्र का बहुत लाभ मिलता है, यह स्तोत्र शीघ्र ही फल देने लग जाते है| यदि साधक इस स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन करने से बुराइया खुद- ब- खुद दूर होने लग जाती है साथ ही सकरात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है| Pragnya Vivardhana Karthikeya Stotram अपने परिवार जनों का स्वस्थ्य ठीक रहता है और लम्बे समय से बीमार व्यक्ति को इस स्तोत्र का पाठ सच्चे मन से करने पर रोग मुक्त हो जाता है| यदि मनुष्य जीवन की सभी प्रकार के भय, डर से मुक्ति चाहता है तो वह इस स्तोत्र का पाठ करे|
श्रीप्रज्ञा विवर्धन कार्तिकेय स्तोत्र के पाठ के साथ साथ पारद कर्तिकेया मुर्ति का भी पाठ करने से मनोवांछित कामना पूर्ण होती है| और नियमित रुप से करने से रुके हुए कार्य भी पूर्ण होने लगते है | और साधक के जीवन में रोग, भय, दोष, शोक, बुराइया, डर दूर हो जाते है साथ ही देवी की पूजा करने से आयु, यश, बल, और स्वास्थ्य में वृद्धि प्राप्त होती है। याद रखे इस श्रीप्रज्ञा विवर्धन कार्तिकेय स्तोत्र पाठ को करने से पूर्व अपना पवित्रता बनाये रखे| इससे मनुष्य को जीवन में बहुत अधिक लाभ प्राप्त होता है|