Papankusha Ekadashi 2023: पापांकुशा एकादशी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन श्रीहरि की पूजा करने से व्यक्ति पाप मुक्त हो जाता है. जानें पापांकुशा एकादशी की डेट, मुहूर्त और महत्व

अक्टूबर में दो एकादशी पड़ेंगी इंदिरा एकादशी और पापांकुशा एकादशी. आश्विन शुक्ल एकादशी के दिन इच्छित फल की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए.

अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन व्रत करने वालों को यमलोक की यातनाएं नहीं सेहनी पड़ती. आइए जानते हैं अक्टूबर में पापांकुशा एकादशी व्रत की डेट, मुहूर्त और महत्व

Kab Hai Papankusha Ekadashi 2023

Kab Hai Papankusha Ekadashi 2023:  पापांकुशा एकादशी का व्रत आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के पापों का प्रायश्चित होता है. हरि कृपा से मोक्ष की प्राप्ति होती है. जो व्यक्ति पापांकुशा एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करता है, उसे 100 सूर्य यज्ञ और 1 हजार अश्वमेध यज्ञ करने के समान पुण्य फल प्राप्त होता है. भगवान विष्णु के आशीर्वाद से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती है.  इस साल पापांकुशा एकादशी व्रत कब है? पापांकुशा एकादशी व्रत का पूजा मुहूर्त और महत्व क्या है?

कब है पापांकुशा एकादशी 2023
पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 24 अक्टूबर दिन मंगलवार को दोपहर 03 बजकर 14 मिनट से प्रारंभ होगी. इस तिथि की समाप्ति 25 अक्टूबर दिन बुधवार को दोपहर 12 बजकर 32 मिनट पर होगी. उदयातिथि के आधार पर इस साल पापांकुशा एकादशी व्रत 25 अक्टूबर को रखा जाना उत्तम है.

3 शुभ योग में है पापांकुशा एकादशी व्रत
इस साल पापांकुशा एकादशी का व्रत 3 शुभ योग में है. पापांकुशा एकादशी के दिन रवि योग, वृद्धि योग और ध्रुव योग बन रहे हैं. उस दिन रवि योग सुबह 06 बजकर 28 मिनट से प्रारंभ हो रहा है और दोपहर 01 बजकर 30 मिनट तक मान्य रहेगा. वहीं वृद्धि योग प्रात:काल से प्रारंभ होगा और वह दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. उसके बाद से ध्रुव योग शुरू होगा, रात तक है.

पापांकुशा एकादशी 2023 पूजा मुहूर्त
25 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी व्रत की पूजा आप सूर्योदय के बाद से कर सकते हैं क्योंकि उस समय से रवि योग और वृद्धि योग रहेगा. ये दोनों ही शुभ योग हैं. वृद्धि योग में आप जो भी कार्य करते हैं, उसके फल में वृद्धि होती है. रवि योग सूर्य के प्रभाव वाला होता है. व्रत के दिन आप पूजा के लिए राहुकाल का त्याग करें. उस दिन राहुकाल दोपहर 12 बजकर 05 मिनट से दोपहर 01 बजकर 29 मिनट तक है. राहुकाल में एकादशी की पूजा न करें.

पापांकुशा एकादशी पर भद्रा और पंचक
पापांकुशा एकादशी के दिन भद्रा और पंचक भी है. उस​ दिन भद्रा सुबह 06 बजकर 28 मिनट से शुरू हो रही है और दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगी. भद्रा का वास धरती पर है तो इस समय में कोई शुभ कार्य न करें. पापांकुशा एकादशी पर पूरे दिन पंचक है.

पापांकुशा एकादशी व्रत का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यदि आपने जाने या अनजाने में कोई भी पाप किया है तो उसके प्रायश्चित के लिए पापांकुशा एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा करें. उनकी कृपा से आपके पाप मिट जाएंगे. इस दिन आप अपनी क्षमता के अनुसार दान करके पुण्य फल प्राप्त कर सकते हैं. पापांकुशा एकादशी पर अन्न, जल, तिल, गाय, भूमि, सोना आदि का दान करना चाहिए.

पापांकुशा एकादशी 2023 व्रत पारण समय (Papankusha Ekadashi 2023 Vrat Parana Time)

पापांकुशा एकादशी व्रत का पारण 26 अक्टूबर 2023 को सुबह 06 बजकर 28 मिनट पर से  सुबह 08 बजकर 43 मिनट तक शुभ मुहूर्त है. पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय 09:44 तक रेहगी

पापांकुशा एकादशी महत्व (Papankusha Ekadashi Significance)

पापांकुशा एकादशी का व्रत अपने नाम स्वरूप जातक को पाप से मुक्ति दिलाता है. मान्यता है कि पापांकुशा एकादशी का निराहार व्रत करने से श्रीहरि भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न होते हैं और भक्तों को कभी धन-दौलत, सुख, सौभाग्य की कमी नहीं होने देते.

पापांकुशा एकादशी पूजा विधि (Papankusha Ekadashi Puja Vidhi)

एकादशी तिथि पर सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए. संकल्प अपनी शक्ति के अनुसार ही लेना चाहिए यानी एक समय फलाहार का या फिर बिना भोजन का, संकल्प लेने के बाद घट स्थापना की जाती है और उसके ऊपर श्रीविष्णुजी की मूर्ति रखी जाती है. इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को रात्रि में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए. इस व्रत का समापन द्वादशी तिथि की सुबह ब्राह्मणों को अन्न का दान और दक्षिणा देने के बाद होता है.

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