( Masik Shivratri ) मासिक शिवरात्रि व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत को रखने से भक्तों को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनके जीवन में सुख-समृद्धि, संतान प्राप्ति, रोगों से मुक्ति, और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

( Masik Shivratri ) मासिक शिवरात्रि व्रत की मान्यताओं के अनुसार, चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव हैं। इसलिए इस दिन विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करने से उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है। इसके अलावा, पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव का विवाह चतुर्दशी तिथि को हुआ था। इसलिए इस दिन का विशेष महत्व है।

मासिक शिवरात्रि व्रत रखने वाले भक्तों को इस दिन निम्नलिखित बातों का पालन करना चाहिए:

  • सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें।
  • पूरे दिन उपवास रखें और केवल फल, दूध, और जल का सेवन करें।
  • शाम को घर में या मंदिर में भगवान शिव की पूजा करें।
  • शिवलिंग का अभिषेक करें।
  • शिव मंत्रों का जाप करें।
  • रात्रि में शिवरात्रि कथा सुनें या पढ़ें।

Masik Shivratri मासिक शिवरात्रि व्रत रखने से भक्तों को निम्नलिखित लाभ मिलते हैं:

  • भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।
  • संतान प्राप्ति होती है।
  • रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

मासिक शिवरात्रि व्रत हर महीने किया जा सकता है। यह व्रत सभी वर्ग के लोगों के लिए उपयुक्त है।

मासिक शिवरात्रि का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मासिक शिवरात्रि का व्रत असंभव को भी संभव कर सकता है और इस व्रत को रखने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. इस व्रत में रात्रि के समय में पूजा करने के बाद रात को जागरण करते हुए भोलेनाथ की अराधना करनी चाहिए. यदि कुंवारे लोग मासिक शिवरात्रि का व्रत व पूजन करते हैं तो जल्द ही उन्हें अच्छा जीवनसाथी मिलता है.

रात को क्यों होती है भोलेनाथ की पूजा

पौराणिक कथाओं के अनुसार चतुर्दशी तिथि की रात्रि में भगवान शिव का विवाह हुआ था, इसलिए भोलेनाथ को रात्रि प्रिय है. यही वजह है कि मासिक शिवरात्रि के दिन अगर रात्रि के समय भगवान शिव का पूजन किया जाए तो वह प्रसन्न होते हैं. इसके अलावा शिव को संहार का देवता भी कहा गया है और रात्रि संहार काल की प्रतिनिधि है. इसलिए मासिक शिवरात्रि की रात को विधि-विधान के साथ भगवान शिव का पूजन करने से जीवन में आ रहे कष्टों से मुक्ति मिलती है. मासिक शिवरात्रि का व्रत करने पर जातक रात्रि के चार प्रहर में भगवान शिव का पूजन करता है. बता दें ​कि प्रत्येक प्रहर 3 घंटे का होता है. एक प्रहर में भोलेनाथ का दूध से अभिषेक किया जाता है, फिर दही और फिर शहद से ​अभिषेक होता है.

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