Lord Hanuman Puja: हिंदू धर्म में लगभग सभी देवी देवताओं की पूजा पाठ के लिए समय निश्चित किया गया है. माना जाता है कि सही समय पर पूजा पाठ करने से व्यक्ति को शुभता प्राप्त होती है. हनुमान जी की पूजा का समय भी निश्चित है. बहुत से लोगों के मन में यह सवाल रहता है, कि हनुमान जी की पूजा किस समय करनी चाहिए? जिससे पूजा का शुभ फल प्राप्त हो. हिंदू धर्म शास्त्रों में बताया गया है, कि हनुमान जी की पूजा सुबह अथवा शाम के वक्त ही करनी चाहिए. हिंदू धर्म पुराणों के अनुसार बजरंगबली की पूजा करने से कुंडली में मौजूद निर्बल ग्रह प्रबल होते हैं, और शुभ फल देते हैं. शनि की महादशा और साढ़ेसाती को दूर करने के लिए भी हनुमान जी की पूजा करना लाभकारी होता है, लेकिन दोपहर के समय हनुमान जी की पूजा कभी भी ना करें, शास्त्रों में इसके पीछे की रोचक कथा बताई जाती है.

Hanuman ji :हनुमानजी के 108 नाम, लेकिन जानिए 11 खास नामों का रहस्य

प्रातःकाल ऐसे लें हनुमानजी का नाम रामचरितमानस के सुंदरकांड में हनुमान जी कहते हैं “प्रात नाम जो लेई हमारा, तेहि दिन ताहि न मिलहि आहारा।” यानी प्रातः काल में जो उनका नाम लेता है उसे दिनभर आहार नहीं मिलता. असल में हनुमान जी वानर रूप धारी हैं, और साथ ही देवता भी हैं, और देवताओं का नाम बिना स्नान और पवित्र हुए बिना नहीं लिया जाना चाहिए. इसलिए हनुमान जी का नाम लेना और पूजन करना है तो प्रातः काल स्नान करके पवित्र होने के बाद ही पवित्र भाव से ही उनका नाम लिया जाना चाहिए. ऐसा करने से कोई दोष नहीं लगता और हनुमान जी की कृपा भी प्राप्त होती है.

हनुमानजी की पूजा का समय और लाभ
हनुमानजी की पूजा संध्या के समय करना भी शुभ मंगलकारी होता है। ज्योतिषीय उपायों में बताया जाता है कि रात में 8 बजे के बाद घी का दीप जलाकर हनुमान चालीसा अथवा सुंदरकांड का पाठ किया जाए तो यह बहुत ही शुभ फलदायी होता है। हनुमान जन्मोत्सव यानी हनुमान जयंती का दिन हो या अन्य दिन शाम के समय हनुमानजी की पूजा करें तो मन में किसी प्रकार का क्लेश और भय नहीं रहता है। प्रतिकूल ग्रह दशाओं से निकला भी व्यक्ति के लिए आसान हो जाता है।

इसलिए दोपहर में हनुमानजी की पूजा नहीं होती
हनुमानजी की पूजा के बारे में ऐसी मान्यता है कि दोपहर के समय हनुमानजी की पूजा करने से पूजा का फल नहीं मिलता है। क्योंकि इस समय की गई पूजा को हनुमानजी स्वीकार नहीं करते हैं। इसकी वजह यह है कि हनुमानजी दोपहर के समय भारत में नहीं रहते हैं। इस समय विभीषणजी को दिए वचन के अनुसार हनुमानजी लंका चले जाते हैं। इसलिए इनकी पूजा दोपहर के समय नहीं की जाती है।

इसलिए दोपहर की पूजा नहीं स्वीकारते हनुमानजी
विभीषणजी हनुमानजी से बड़ा स्नेह रखते थे। इन्होंने हनुमानजी से आग्रह किया, हे हनुमानजी आप हमारे साथ लंका में ही निवास कीजिए। लेकिन राम भक्त हनुमानजी भगवान राम से दूर कैसे रह सकते थे। इसलिए इन्होंने लंका में रहने से मना कर दिया। लेकिन विभीषणजी को एक वचन दे दिया, क्योंकि वह विभीषणजी के स्नेह को भी ठुकराना नहीं चाहते थे। हनुमानजी ने विभीषणजी से कहा कि वह नियमित रूप से दिन में दोपहर के समय लंका आएंगे और फिर वापस चले जाएंगे। शाम के समय हनुमानजी लंका से लौटकर आ जाते हैं। इसलिए शाम के समय हनुमानजी की पूजा फलदायी होती है।

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