क्या है? गरुड़ पुराण:-

सनातन धर्म में कई ग्रंथ हैं, जिनमें से गरुड़ पुराण एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है. यह दुनिया का पालन करने वाले भगवान विष्णु द्वारा अपने भक्तों को दिए गए ज्ञान पर आधारित है. इस पुराण में मृत्यु के बाद की स्थिति का वर्णन किया गया है. इसके अलावा गरुण पुराण में मनुष्य के अलग-अलग कार्यों के लिए अलग-अलग दंड का भी उल्लेख किया गया है. इस शास्त्र का पाठ आमतौर पर परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु के बाद किया जाता है. इससे आत्मा को मोक्ष मिलता है और घर पवित्र होता है. आइए आज जानते हैं गरुड़ पुराण के बारे में विस्तृत जानकारी.

गरुड़ पुराण की कथा

गरुड़ पुराण की कथा के अनुसार, एक ऋषि के श्राप के कारण राजा परीक्षित को तक्षक नाग ने काट लिया था और रास्ते में उन्हें कश्यप ऋषि मिले. तक्षक नाग ने अपना भेष बदलकर ब्राह्मण वेशधारी ऋषि से पूछा कि वे इतने अधीरता से कहां जा रहे हैं? ऋषि ने बताया कि तक्षक नाग महाराज परीक्षित को कुचलने जा रहे हैं और उनके जहर के प्रभाव को दूर करके उन्हें फिर से जीवन देंगे. यह सुनकर तक्षक ने अपना परिचय दिया और वापस लौटने को कहा. तक्षक ने कश्यप जी से कहा कि मेरे विष के प्रभाव से आज तक कोई भी व्यक्ति जीवित नहीं बच पाया है. तब कश्यप ने कहा कि वह अपने मंत्रों की शक्ति से राजा परीक्षित के विषैले प्रभाव को दूर कर देंगे.

इसके बाद तक्षक ने मुनि से कहा कि यदि ऐसी बात है तो तुम्हें इस वृक्ष को हरा-भरा कर सकते हैं. जब तक्षक ने वृक्ष को जलाकर भस्म कर दिया तो कश्यप ने वृक्ष की राख पर अपना मंत्र जलाया और देखते ही देखते उस राख में से नई कोंपलें फूट पड़ीं और देखते ही देखते वृक्ष फिर से हरा-भरा हो गया. ऋषि कश्यप के इस चमत्कार से आश्चर्यचकित तक्षक ने पूछा कि वह किस कारण से राजा का भला करना चाहता है? तब साधु ने कहा कि उसे वहां से बड़ी मात्रा में धन मिलेगा. तक्षक ने एक उपाय निकाला और उसे उसकी आशा से अधिक धन देकर वापस भेज दिया. गरुड़ पुराण के अनुसार, गरुड़ पुराण सुनने के बाद कश्यप ऋषि का यह प्रभाव और शक्ति बढ़ गई.

गरुड़ पुराण का महत्व

गरुड़ पुराण 18 महापुराणों में से एक है. इस ग्रंथ में कुल 19 हजार श्लोक हैं जिनमें से सात हजार श्लोक मानव जीवन से संबंधित हैं. इसमें नरक, स्वर्ग, रहस्य, नीति, धर्म और ज्ञान का उल्लेख मिलता है. इस ग्रंथ का पाठ करने से ज्ञान, त्याग, तपस्या और आत्मज्ञान तथा सदाचार का ज्ञान प्राप्त होता है. ऐसी मान्यता है कि किसी की मृत्यु के बाद इस गरुड़ पुराण का पाठ करने से व्यक्ति की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसके अलावा घर का वातावरण भी हमेशा शुद्ध रहता है.

गरुड़ पुराण कब और क्यों पढ़ें?

शास्त्रों के अनुसार, परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु के बाद ही गरुड़ पुराण का पाठ किया जाता है. इससे मृतक की आत्मा की शांति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. ऐसी मान्यता है कि मृतक की आत्मा 13 दिनों तक घर में ही रहती है. इसलिए गरुड़ पुराण का पाठ करके आत्मा को मोक्ष दिलाया जाता है.

गरुड़ पुराण पढ़ने के नियम

गरुड़ पुराण एक रहस्यमयी ग्रंथ है. इसका पाठ करने से पहले कई बातों का ध्यान रखें. इसको लेकर कई भ्रांतियां हैं. हम आपको यहां जानकारी दे रहे हैं कि इस किताब का पाठ मरने के बाद किया जाता है. इसलिए इसे घर में रखना उचित नहीं माना गया है. अगर कोई गरुड़ पुराण का पाठ करना चाहता है तो उसे शुद्ध मन से पाठ करना चाहिए. इसके अलावा गरुड़ पुराण का पाठ साफ-सुथरी जगह पर ही किया जाता है.

सामग्री और संरचना:

  • विभिन्न संस्करणों में उपलब्ध, लगभग 15,000 छंदों वाले।
  • दो मुख्य भागों में
  • विभाजित:
    • पूर्वखंड (पहले का भाग): सृष्टि, विष्णु के अवतार, कर्मकांड और धार्मिक जीवन जैसे विविध विषयों को शामिल करता है।
    • उत्तरखंड (बाद का भाग): प्रेतखंड या प्रेतकल्प के रूप में भी जाना जाता है, यह मृत्यु, अंतिम संस्कार, मृत्यु के बाद के जीवन और पुनर्जन्म से विस्तार से संबंधित है। यह खंड हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद क्या होता है, यह समझने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Open chat
सहायता
Scan the code
KARMASU.IN
नमो नमः मित्र
हम आपकी किस प्रकार सहायता कर सकते है