Dhanu Sankranti Date 2023: ग्रहों के राजा सूर्य देव दिसंबर माह में धनु राशि में गोचर करेंगे। सूर्य देव 16 दिसंबर 2023 को धनु राशि में गोचर करेंगे, इसलिए 16 दिसंबर को धनु संक्रांति Dhanu Sankranti के नाम से जाना जाएगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार  जिस राशि में प्रवेश करते हैं, उसी के अनुसार संक्रांति का नामकरण किया जाता है। धनु संक्रांति का पुण्यकाल 16 दिसंबर को प्रातः 09 बजकर 58 मिनट से शाम 04 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। सूर्य की धनु संक्रांति में और खासकर संक्रांति के पुण्यकाल के दौरान गोदावरी नदी में स्नान-दान का बहुत महत्व है। संक्रांति के दिन पितृ तर्पण, दान, धर्म और स्नान आदि का बहुत महत्व माना जाता है। 

कब है धनु संक्रांति Dhanu Sankranti

ज्योतिष शास्त्र में 12 राशियों का विशेष महत्व है। सभी ग्रह बारी-बारी से इन 12 राशियों में प्रवेश करते हैं। सूर्य ग्रह भी इन्हीं में से एक हैं। जब भी सूर्य देव किसी भी राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे संक्रांति के नाम से जाना जाता है।

धनु संक्रांति 16 दिसंबर, शनिवार को है। इस संक्रांति को हेमंत ऋतु शुरू होने पर मनाया जाता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हेमंत ऋतु का आरंभ 16 दिसंबर से होता है। इस दिन से मौसम में ठंड बढ़ने लगती है और पृथ्वी पर सूर्य की किरणें सीधी पड़ने लगती हैं। इस दिन सूर्य देव वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेश करते हैं। धनु राशि को देवताओं की राशि माना जाता है। इस राशि का स्वामी गुरु ग्रह होता है।

धनु संक्रांति को लोग बड़े ही धूम-धाम से मनाते हैं। इस दिन लोग नदी, तालाब या समुद्र में स्नान करते हैं और सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व होता है।

धनु संक्रांति के दिन से खरमास शुरू हो जाते हैं। खरमास में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है।

इस बार धनु संक्रांति का पुण्यकाल 16 दिसंबर को प्रातः 09 बजकर 58 मिनट से शाम 04 बजकर 22 मिनट तक रहेगा।

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धनु संक्रांति के दिन कुछ विशेष उपाय करने से शुभता आती है। इन उपायों में शामिल हैं:

  • इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • पितरों को तर्पण दें।
  • दान-पुण्य करें।
  • नदी, तालाब या समुद्र में स्नान करें।
  • लाल वस्त्र धारण करें।
  • धनु राशि के स्वामी गुरु ग्रह को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखें।

कब से शुरू होगा खरमास 

कब से शुरू होगा खरमास 
जब धनु और मीन राशि में सूर्य देव गोचर करते हैं, तो इनके तेज प्रभाव से धनु और मीन राशि के स्वामी देवगुरु बृहस्पति का प्रभाव बहुत कमजोर हो जाता है।  इसके चलते एक महीने तक खरमास लगता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, 16 दिसंबर को सूर्य देव सायं 03 बजकर 58 मिनट पर वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में प्रवेश करेंगे। इसलिए खरमास की शुरुआत इसी दिन से होगी।

खरमास के दौरान क्या करें?

  • सूर्य देव बृहस्पति की राशि में गोचर करेंगे इसलिए इस पूरे महीने भगवान सूर्य और श्री हरि विष्णु की पूजा का विधान है।
  • खरमास के दौरान भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं और ‘ओम घृणि सूर्याय नम:’का जाप करें।
  • जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष है, वे अमावस्या के दिन घर पर ब्राह्मण भोज का आयोजन करें। उन्हें आदरपूर्ण भोजन कराएं और वस्त्र का दान करें।
  • इस महीने सूर्यदेव को जल चढ़ाना बेहद महत्वपूर्ण माना गया है।
  • खरमास के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करें। 

खरमास के दौरान क्या न करें?

  • खरमास को शुभ समय नहीं माना जाता है, इसलिए इस समय शुभ कार्य करने की मनाही होती है।
  • खरमास में शादी न करने की सलाह दी जाती है।
  • इस महीने में नया घर खरीदना, कोई संपत्ति खरीदना, नया कारोबार शुरू करने से बचना चाहिए।
  • इस माह में लोगों को नया वाहन नहीं खरीदना चाहिए।
  • इस महीने में लोगों को तामसिक भोजन और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।

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