संकष्टी गणेश चतुर्थी आपको बता दें कि संकष्टी गणेश चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) का काफी मान है। भगवान गणेश की पूजा इस दिन करने से इंसान के सारे कष्टों का अंत होता है। तो वहीं महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में इस दिन मांएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत भी करती हैं और शाम को गणेश जी की पूजा करने और चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं। इस दिन कुछ खास मंत्रों से गणपति की पूजा होती है।

वक्रतुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ निर्विघ्नम कुरू मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा।। ‘ॐ गं गणपतये नम:। … ‘ॐ नमो हेरम्ब मद मोहित मम् संकटान निवारय-निवारय स्वाहा। … ‘ॐ वक्रतुंडा हुं। … ‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा। … सिद्ध लक्ष्मी मनोरहप्रियाय नमः।

संकष्टी चतुर्थी 2023: पूजा अनुष्ठान
1. सुबह जल्दी उठें और घर पर पवित्र स्नान करें।
2. अपने घर विशेषकर पूजा कक्ष को साफ करें।
3. भगवान गणेश की मूर्ति रखें और उन्हें पीले गेंदे के फूल की माला से सजाएं।
4. एक दीया जलाएं और उन्हें बूंदी के लड्डू या मोदक और दुर्वा घास अर्पित करें।
5. पूजा करें, कथा पढ़ें और आरती करें।

Sankashti Chaturthi संकष्टी चतुर्थी 2023: महत्व

हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी Sankashti Chaturthi का अपना महत्व है क्योंकि यह भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित है। लोग व्रत रखते हैं और पूरी आस्था और भक्ति के साथ भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हैं। भगवान गणेश को भक्तों के जीवन से बाधाओं को दूर करने के लिए जाना जाता है क्योंकि उन्हें विघ्न हर्ता के रूप में जाना जाता है, जो जीवन से समस्याओं को दूर करते हैं। गणपति जी की पूजा के बिना कोई भी पूजा अनुष्ठान से लेकर शादी-सगाई के आयोजन तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है।

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