अक्षय तृतीया को शुभ मानने के अनेक कारण हैं:
पौराणिक मान्यताएं:
- सृष्टि का प्रारंभ: पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, सतयुग और त्रेतायुग का प्रारंभ अक्षय तृतीया के दिन ही हुआ था।
- भगवान विष्णु का अवतार: इस दिन भगवान विष्णु ने नर-नारायण रूप में अवतार लिया था।
- भगवान परशुराम का जन्म: भगवान परशुराम, जो भगवान विष्णु का छठा अवतार हैं, का जन्म भी इसी दिन हुआ था।
- गंगा नदी का अवतरण: माना जाता है कि गंगा नदी भी इसी दिन पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं।
धार्मिक महत्व:
- दान-पुण्य का महत्व: अक्षय तृतीया को दान-पुण्य का अत्यंत शुभ दिन माना जाता है। इस दिन किए गए दान का पुण्य अक्षय होता है, यानि कभी नष्ट नहीं होता।
- तीर्थ यात्रा: इस दिन तीर्थ यात्रा करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
- सोने की खरीदारी: अक्षय तृतीया के दिन सोने की खरीदारी करना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सोना खरीदने से धन-वैभव की वृद्धि होती है।
ज्योतिषीय महत्व:
- सूर्य और चंद्र की विशेष स्थिति: अक्षय तृतीया के दिन सूर्य और चंद्र अपनी उच्च राशि में होते हैं, जिसके कारण इस दिन ग्रहों की स्थिति अत्यंत शुभ होती है।
- ग्रहों का शुभ प्रभाव: इस दिन ग्रहों का शुभ प्रभाव लोगों पर पड़ता है और उन्हें सफलता, समृद्धि और खुशी प्राप्त होती है।
अन्य मान्यताएं:
- नए कार्यों की शुरुआत: अक्षय तृतीया को नए कार्यों की शुरुआत करना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए कार्य सफल होते हैं।
- विवाह: इस दिन विवाह करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन विवाह करने वाले जोड़ों का जीवन सुखी और समृद्ध होता है।
क्यों खास है अक्षय तृतीया?
अक्षय तृतीया को कई वजहों से साल का सबसे शुभ दिन माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत अक्षय तृतीया से ही हुई थी. भगवान विष्णु ने नर नारायण का अवतार भी इसी दिन लिया था. भगवान परशुराम का जन्म भी अक्षय तृतीया पर हुआ था. इस शुभ तिथि से ही भगवान गणेश ने महाभारत का काव्य लिखना शुरू किया था.
इतना ही नहीं, अक्षय तृतीया से ही बद्रीनाथ के कपाट खुलते हैं और केवल इसी दिन वृन्दावन में भगवान बांके-बिहारी जी के चरणों के दर्शन होते हैं. कहते हैं कि इसी दिन विष्णु जी के चरणों से मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं. वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि को अखा तीज के रूप में भी मनाया जाता है. कुछ लोग इसे अक्षय तीज भी कहते हैं.