भगवान शिव की किसी पर कृपा हो तो वह मनुष्य जीवन के सारे ही सांसारिक सुख भोगता है। इसलिए शिव जी की कृपा पाने के लिए मनुष्य को उनके कम से कम उनके सात मंदिरों का दर्शन जरूर करना चाहिए। मान्यता है कि यदि शिव जी के इन सात मंदिरों का दर्शन जीवन में मनुष्य कर ले तो उसके सभी पापकर्म नष्ट होते हैं और उसकी कामनाएं जरूर परी होती हैं। भगवान शिव बहुत ही भोले माने गए हैं और वह अपने भक्तों में भी वहीं भोलापन खोजते हैं। यही कारण है कि देश के इन 7 मंदिरों में कहते हैं कि मनुष्य यदि सच्चे और निश्चल भाव से शिवजी का दर्शन कर ले तो उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

अमरनाथ मंदिर

जम्मू-कश्मीर में स्थित अमरनाथ मंदिर हिंदुओं का प्रमुख तीर्थ स्थ्ज्ञल है और यहां दर्शन करना बहुत ही पुण्यदायी माना गया है। यह मंदिर एक गुफा के रूप स्थित है। पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिव लिंग का निर्मित होना है। प्राकृतिक बर्फ से निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू बर्फ का शिवलिंग भी कहते हैं यह शिवलिंग लगभग 10 फुट ऊचा बनता है। आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए लाखो लोग यहां आते है। चन्द्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ इस बर्फ का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है। श्रावण पूर्णिमा को यह अपने पूरे आकार में आ जाता है और अमावस्या तक धीरे-धीरे छोटा होता जाता है। मूल अमरनाथ शिवलिंग से कई फुट दूर गणेश, भैरव और पार्वती के वैसे ही अलग अलग हिमखंड हैं।

केदारनाथ मंदिर

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्थित केदारनाथ का मंदिर चार धाम यात्रा में गिना जाता है। यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। उत्तराखण्ड में बद्रीनाथ और केदारनाथ-ये दो प्रधान तीर्थ हैं, दोनो के दर्शनों का बड़ा ही माहात्म्य है। केदारनाथ के संबंध में लिखा है कि जो व्यक्ति केदारनाथ के दर्शन किये बिना बद्रीनाथ की यात्रा करता है, उसकी यात्रा निष्फल जाती है और केदारनापथ सहित नर-नारायण-मूर्ति के दर्शन का फल समस्त पापों के नाश पूर्वक जीवन मुक्ति की प्राप्ति बतलाया गया है।

ओंकारेश्वर मंदिर

मध्य प्रदेश के खंडवा स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों में ओमकारेश्वर मंदिर भी‌ प्रमुख शिव मंदिर में गिना जाता है। चार धाम यात्रा के बाद यहां ओमारेश्वर महादेव का दर्शन करना जरूरी होता है, तभी चार धाम यात्रा का पुण्य मिलता है।

सोमनाथ मंदिर

गुजरात  के काठियावाड़ क्षेत्र में समुद्र के किनारे सोमनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों से एक है। सोमनाथ-ज्योतिर्लिंग की महिमा महाभारत, श्रीमद्भागवत तथा स्कंद पुराणादि में उल्लेखित है। चन्द्रदेव का एक नाम सोम भी है। उन्होंने भगवान शिव को ही अपना नाथ-स्वामी मानकर यहां तपस्या की थी इसीलिए इसका नाम ‘सोमनाथ’ हो गया।

त्रयंबकेश्वर मंदिर

महाराष्ट्र में गोदावरी नदी के किनारे स्थित त्रयंबकेश्वर मंदिर हिंदुओं की आस्था का बड़ा केंद्र है। काले पत्थरों से बना ये मंदिर चमत्कारिक माना गया है। कहते हैं यहां शिव जी को कोई भक्त खाली हाथ नहीं लौटता।

दक्षेश्वर महादेव मंदिर

उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित कनखल में दक्षेश्वर मंदिर अपनी आस्था और चमत्कार के लिए जाना जाता है। मान्यता है कि इस मंदिर में जगह पर स्थित है। मान्यता है कि आज के दिन जो व्यक्ति दक्षेश्वर महादेव स्थित शिव लिंग का जलाभिषेक करता है, उसे अन्य स्थान पर जल चढ़ाने से कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है।

अन्नामलाई मंदिर

आदि अन्नामलाई मंदिर तिरुवन्नमलई सबसे पुराना मंदिर माना गया है। अरुणाचलेश्वर मंदिर का निर्माण को लगभग 2000 साल पुराना माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि आरंभ में यह मंदिर साधारण सी लकड़ी से बना था, जिसमें विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित थी। बाद में गोपुरम जोड़े गए और ईंटों व पत्थरों से एक मंदिर बनाने के लिए इस लकड़ी की संरचना को नीचे लाया गया था। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर कर वर्तमान स्वरूप 1200 सालों से अस्तित्व में है।

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