सावन माह की शुरूआत आज से हुई है. यह माह भगवान शिव को बहुत ही प्रिय है. इस माह में विशेषकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है. हालांकि वर्ष में आप ​किसी भी दिन भोलेनाथ का जलाभिषेक कर सकते हैं. श्रावण मास में देशभर के शिव मंदिरों में भक्त अपने भगवान महादेव की पूजा करने और उनका जलाभिषेक करने के लिए आते हैं. भगवान शिव का सावन माह में जलाभिषेक क्यों किया जाता है? इसे प्रश्न के जवाब में ही आपको पता चल जाएगा कि सावन माह शिव जी को प्रिय क्यों है. इसके बारे में बता रहे हैं

शरीर पर भस्म क्यों लगाते हैं भगवान शिव

सावन में शिव जी के जलाभिषेक की कथा
शिव पुराण की कथा के अनुसार, जब समुद्र मंथन हुआ था, तो उसमें से सबसे पहले विष निकला था. उस विष के कारण पूरे संसार पर संकट छा गया क्योंकि वह देव, मनुष्य, पशु-पक्षी आदि सभी के जीवन के लिए हानिकारक था. अब समस्या यह थी कि उस विष का क्या होगा? इस संकट का क्या हल है?

तब देवों के देव महादेव ने इस संकट से पूरी सृष्टि को बचाने का निर्णय लिया. उन्होंने उस पूरे विष को पीना शुरु कर दिया, उसी समय माता पार्वती ने उस विष को भगवान शिव के कंठ में ही रोक दिया. इस वजह से वह विष शिव जी के कंठ में ही रह गया और शरीर में नहीं फैला. विष के कारण शिव जी का कंठ नीला हो गया, जिस वजह से शिव जी को नीलकंठ भी कहते हैं.

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