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KARMASU

श्री मध्य स्वामी मलाई मंदिर

श्री मध्य स्वामी मलाई मंदिर मुख्य रूप से भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है।

यह मंदिर मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के अरेरा कॉलोनी में एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है। श्री मध्य स्वामी मलाई मंदिर मुख्य रूप से भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है। दक्षिण भारत के ​मंदिर की तरह बना यह मंदिर देखने में काफी खूबसूरत लगता है। मलाई मंदिर से कई लोग अंदाजा लगाते हैं कि यहां भगवान को मलाई का भोग लगाया जाता है,

जबकि सच्चाई यह है कि तमिल भाषा में पहाड़ी को मलाई कहा जाता है। श्री मध्य स्वामी मंदिर पहाड़ी पर बने होने के कारण इसके नाम के साथ मलाई शब्द जोड़ा गया है। मंदिर में रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यह मंदिर खासतौर पर दक्षिण भारतीय समुदाय द्वारा पुजनीय है। मंदिर में ज्यादातर तमिल, तेलगू, मलयालम व कन्नड़ समुदाय के लोग पूजन व दर्शन करने आते हैं। मंदिर में दिव्य भावनाएं व शांति का अनुभव होता है।

Sri Madhya Swami Malai Temple:मंदिर का इतिहास

बताया जाता है कि श्री मध्य स्वामीमलाई मंदिर की नींव श्री कांची कामकोटि पीठम के पूज्यश्री जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामीजी के आशीर्वाद से साल 1978 में रखी गई थी। 6 साल में यह मंदिर बनकर तैयार हुआ। साल 1984 में मंदिर को कुंभाभिषेकम के साथ पवित्र किया गया। इसके बाद साल 1997 व 2008 में मंदिर में कुंभाभिषेकम किए गए। कुंभाभिषेकम का अर्थ है अभिषेक समारोह, जोकि हिंदू मंदिरों में किया जाता है। इसका आध्यात्मिक व ऐतिहासिक महत्व होता है। आमतौर पर कुंभाभिषेकम 12 साल में एक बार आयोजित किया जाता है। इसमें भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

श्री मध्य स्वामी मलाई मंदिर का महत्व

माना जाता है कि भगवान कार्तिकेय के आशीर्वाद से मनुष्य अपने शत्रु पर विजय हासिल करता है। मंदिर में दर्शन-पूजन से कार्यों में आ रही सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती है। मान्यता है कि भगवान कार्तिकेय के इस मंदिर में दर्शन से भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद मिलता है। भगवान कार्तिकेय का दूध से अभिषेक कराने पर शारीरिक कष्‍ट दूर हो जाते हैं।

श्री मध्य स्वामी मलाई मंदिर की वास्तुकला

श्री मध्य स्वामीमलाई मंदिर को चोला शैली के अनुरूप बनाया गया है, जिसमें दक्षिण भारतीय वास्तुकला की झलक दिखाई देती है। मंदिर में स्थापित सभी मुख्य प्रतिमाएं काले ग्रेनाइट पत्थर से बनाई गई हैं। मंदिर की दीवारों पर छतों पर अद्भुत कलाकृतियां की गई हैं। दीवारों पर देवी-देवताओं की प्रतिमा व परिसर में लगे खंभों पर दक्षिण भारतीय कला का प्रदर्शन किया गया है।

श्री मध्य स्वामी मलाई भगवान स्वामीनाथ या कार्तिकेय मंदिर के पीठासीन देवता हैं। आमतौर पर भगवान स्वामीनाथ को भगवान मुरुगन के रूप में जाना जाता है। हिंदू धर्म में मोर को भगवान स्वामीनाथ का वाहन माना जाता है इसलिए मंदिर में मोरों को पाला जाता है। श्री मध्य स्वामी मलाई मंदिर परिसर में अन्य देवी देवताओं के भी मंदिर हैं। इनमें गणेश जी, शिवजी, कामाक्षी देवी, नौ दिव्य ग्रह, हनुमान जी, भगवान वेंकटेश्वर, नाग देवता, श्रीकृष्ण व पादुका मंदिर शामिल है।

सुबह मंदिर खुलने का समय

06:00 AM – 07:00 PM

मंगलवार को भगवान कार्तिकेय विशेष अभिषेक का समय

09:30 AM – 10:00 AM

एकादशी के दिन भगवान बालाजी के विशेष अभिषेक का समय

08:30 AM – 09:00 AM

पूर्णिमा के दिन देवी कामाक्षी के विशेष अभिषेक का समय

06:00 PM – 06:30 PM

मंदिर का प्रसाद

भगवान कार्तिकेय का दूध से अभिषेक किया जाता है। भक्त भगवान को फूल व दक्षिण भारतीय परंपररागत कपड़ों में शामिल शॉल अर्पित करते हैं। इसके अतिरिक्त मंदिर में स्थापित अन्य देवी देवताओं को नारियल, लड्डू, बताशा आदि का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

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