भगवान शिव को सावन का महीना अत्यंत ही प्रिय है। जो भी भक्त इस माह में उनकी विधिवतरूप से पूजा करता है उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है। आओ जानते हैं कि आखिर शिवजी को क्यों प्रिय है सावना का महीना।

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1. राजा दक्ष के यज्ञ में आत्मदाह करने के बाद माता सती का दूसरा जन्म माता पार्वती के रूप में हुआ था। माता पार्वती ने शिवजी को प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था जिसके चलते सावन के माह में शिवजी ने माता से विवाह किया था। इसलिए उन्हें यह माह प्रिय है। इस संबंध में ब्रह्मा के पुत्र सनत कुमारों ने शिवजी से प्रश्न किया था कि आपको सावन का माह क्यों प्रिय है तो शिवजी ने उपरोक्त बात बताई थी।

2. देव और दैत्यों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। मंथन करने से सबसे पहले विष निकला था। विष को शिवजी ने अपने गले में धारण कर लिया था। इसके कारण वे नीलकंठ कहलाने लगे। विष के काणण उनके शरीर का तापमान बढ़ने लगा तो देवताओं ने उन पर शीतल जल डालकर उस ताप को शांत किया। तभी से शिवजी को जल अतिप्रिय लगने लगता है।

3. कई जगहों पर बारिश में शिवलिंग पानी में डूबे रहते हैं। शिवलिंग के उपर एक कलश लटका रहता है जिससे बूंद-बूंद जल टपकता रहता है उसे जलाधारी कहती हैं। जहां भी प्राकृति शिवलिंग है वहां जल की धारा भी है।

4. शिवजी के मस्तक पर चंद्रमा और गंगा मैया विराजमान है जिनका संबंध में जल से ही है।  कैलाश पर्वत के चारों और बर्फ जमी रहती है और उसके पास है मान सरोवार। शिवजी को जल अति प्रिय है जबकि विष्णुजी तो जल में ही निवास करते हैं। 

5. यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव सावन के महीने में धरती पर अवतरित होकर अपनी ससुराल गए थे और वहां उनका स्वागत अर्ध्य देकर, जलाभिषेक कर किया गया था। अत: माना जाता है, कि प्रत्येक वर्ष सावन माह में भगवान शिव अपनी ससुराल आते हैं। इसीलिए यह माह उन्हें प्रिय है।

यही उपरोक्त सभी कारण है कि बारिश का मौसम और उसमें भी श्रावण का माह उन्हें अति प्रिय है जबकि सभी ओर हरियाली और शीतलता व्याप्त हो जाती है।

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