रोहिणी व्रत जैन समुदाय के लिए महत्वपूर्ण दिनों में से एक है, क्योंकि इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. हालांकि, इस महीने ये व्रत 10 अगस्त, 2023 को मनाया जाएगा.

रोहिणी व्रत कथा

प्राचीन कथा के अनुसार चंपापुरी राज्य में राजा माधवा, और रानी लक्ष्मीपति का राज्य था। उनके सात बेटे और एक बेटी थी। एक बार राजा ने बेटी रोहिणी के बारे में ज्योतिषी से जानकारी ली तो उसने बताया कि रोहिणी का विवाह हस्तिनापुर के राजकुमार अशोक के साथ होगा। इस पर इसके बाद राजा ने स्वयंवर का आयोजन किया, इसमें रोहिणी-अशोक का विवाह करा दिया गया। बाद में रोहिणी-अशोक राजा रानी बने।

एक समय हस्तिनापुर के वन में श्री चारण मुनिराज आए, उनके दर्शन के लिए राजा पहुंचे और धर्मोपदेश ग्रहण किया। बाद में पूछा कि उनकी रानी शांतचित्त क्यों है, तब उन्होंने बताया कि इसी नगर में एक समय में वस्तुपाल नाम का राजा था, जिसका धनमित्र नाम का मित्र था, जिसकी दुर्गंधा नाम की कन्या पैदा हुई। लेकिन धनमित्र परेशान रहता था कि उसकी बेटी से विवाह कौन करेगा। लेकिन बाद में उसने धन का लालच देकर वस्तुपाल के बेटे श्रीषेण से दुर्गंधा का विवाह कर दिया। इधर दुर्गंधा की दुर्गंध से परेशान होकर श्रीषेण एक माह में ही कहीं चला गया।

पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में राजा माधव अपनी रानी लक्ष्मीपति के साथ चंपापुरी नामक नगर में राज्य करते थे। उनके 7 पुत्र और 1 पुत्री का नाम रोहिणी था। एक बार राजा ने निमित्ज्ञानी से पूछा कि मेरी पुत्री का वर कौन होगा। तो उन्होंने कहा कि तुम्हारी पुत्री का विवाह हस्तिनापुर के राजकुमार अशोक के साथ होगा। यह सब सुनने के बाद राजा ने कन्या का ऐलान किया और स्वयंवर में कन्या रोहिणी ने राजकुमार अशोक को वरमाला पहनाई पहनाई और इस प्रकार दोनों की शादी हो गई एक बार नगरी हस्तिनापुर के वनों में श्री चरण मुनिराज आए। राजा स्वजनों सहित उनके दर्शन को गए और प्रणाम कर के उपदेश ग्रहण किया।

सपने में रुपये-पैसे देखना शुभ या अशुभ, जानें क्या कहता है स्वप्न शास्त्र

इसके बाद राजा जी ने मुनिराज से एक प्रश्न पूछा कि मेरी रानी इतनी  शांत क्यों है तब गुरुवर ने उत्तर देते हुए कहा कि इस नगर में वास्तुपाल नाम का एक राजा रहता था जिसके मित्र का नाम धनमित्र था । उस धनमित्र के एक दुर्गंधयुक्त कन्या उत्पन्न हुई। धनमित्र को हमेशा यही चिंता रहती थी कि इस कन्या से कौन विवाह करेगा? धनमित्र ने धन का लालच देकर उसका विवाह अपने मित्र के पुत्र श्रीषेण से करा दिया, लेकिन दुर्गंध से पीड़ित होकर उसने एक महीने के भीतर ही उसे छोड़ देता है। उसी समय नगर में मुनिराज जी विहार करते हुए आ गए तब धनमित्र जी अपनी बेटी दुर्गंध के साथ पूजा करने के लिए गए और मुनिराज से अपनी बेटी दुर्गंध के भविष्य के बारे में पूछा।

उन्होंने बताया कि गिरनार पर्वत के समीप एक नगर में राजा भूपाल राज्य करते थे। उसकी सिंधुमती नाम की एक रानी थी। एक दिन राजा रानी सहित वन क्रीड़ा के लिए गया तो रास्ते में मुनिराज को देखकर राजा ने रानी से घर जाकर मुनि के भोजन की व्यवस्था करने को कहा। राजा की आज्ञा से रानी चली गई, लेकिन क्रोधित होकर उसने मुनिराज को करेले का आहार दिया, जिससे मुनिराज को बड़ी पीड़ा हुई और उन्होंने तुरंत अपने प्राण त्याग दिए। जब राजा को इस बात का पता चला तो उसने रानी को नगर से बाहर निकाल दिया और इस पाप के कारण रानी के शरीर में कोढ़ हो गया। अत्यंत पीड़ा और दु:ख को भोगती हुई वह क्रोध से मरकर नरक में चली गई।

वह अनंत दु:खों को भोगकर पशु योनि में उत्पन्न हुई और फिर तुम्हारे घर में दुर्गंधयुक्त कन्या बनी। इस पूरी कथा को सुनकर धनमित्र ने पूछा- मुझे कोई व्रत-विधि आदि धार्मिक कार्य बताओ जिससे यह पाप दूर हो जाए। तब स्वामी ने कहा – रोहिणी व्रत सम्यग्दर्शन सहित करें अर्थात् जिस दिन प्रत्येक मास में रोहिणी नक्षत्र आता हो, उस दिन चारों प्रकार के अन्नों का त्याग कर श्री जिन चैत्यल के पास जाकर धर्मध्यान अर्थात् सामायिक, स्वाध्याय सहित 16 प्रहर व्यतीत करें। धर्मचर्चा, पूजा, अभिषेक आदि में समय व्यतीत करें और आत्मबल का दान करें।

इस प्रकार 5 वर्ष 5 माह तक इस व्रत को करें। दुर्गन्धा ने भक्तिपूर्वक व्रत किया और अपने जीवन के अंत में सन्यास लेकर मरकर पहले स्वर्ग में देवी बनी। वहाँ से तेरी प्यारी रानी आई। इसके बाद राजा अशोक ने उसका भविष्य पूछा तो स्वामी ने कहा- भील होकर तुमने मुनिराज पर घोर उपसर्ग किया था, अत: तुम मरकर नरक में गये और फिर अनेक कुयोनियों में भटकते हुए एक व्यापारी के घर में जन्म लिया, अत: बहुत निराशाजनक। आपको शरीर मिला, तब आपने मुनिराज के कहने पर रोहिणी व्रत किया। फलस्वरूप स्वर्ग में जन्म लेकर अशोक नाम का एक राजा हुआ। इस प्रकार रोहिणी व्रत के प्रभाव से राजा अशोक और रानी रोहिणी ने स्वर्गलोक का सुख भोगकर मोक्ष प्राप्त किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Open chat
सहायता
Scan the code
KARMASU.IN
नमो नमः मित्र
हम आपकी किस प्रकार सहायता कर सकते है