1. राम मंदिर, अयोध्या

राम एक ऐतिहासिक महापुरुष थे और इसके पर्याप्त प्रमाण हैं। शोधानुसार पता चलता है कि भगवान राम का जन्म आज से 7128 वर्ष पूर्व अर्थात 5114 ईस्वी पूर्व को उत्तरप्रदेश के अयोध्या नगर में हुआ था। अयोध्या हिन्दुओं के प्राचीन और 7 पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। सरयू नदी के तट पर बसे इस नगर को रामायण अनुसार ‘मनु’ ने बसाया था। यह हिन्दुओं के लिए मदीना और बेथलहम की तरह है। मध्यकाल में राम जन्मस्थान पर बने भव्य मंदिर को आक्रांता बाबर ने तोड़कर वहां एक मस्जिद स्थापित कर दी जिस पर अभी भी विवाद जारी है।

2. रघुनाथ मंदिर

भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर के जम्मू शहर में स्थित यह राम मंदिर आकर्षक वास्तुकला का नमूना है।

इस मंदिर को 1835 में महाराजा गुलाब सिंह ने बनवाना शुरू किया था और इसका पूर्ण निर्माण महाराजा रणजीतसिंह के काल में हुआ।

इस मंदिर में 7 ऐतिहासिक धार्मिक स्‍थल मौजूद है। मंदिर के भीतर की दीवारों पर तीन तरफ से सोने की परत चढ़ी हुई है। इसके अलावा मंदिर के चारों ओर कई मंदिर स्थित है जिनका सम्बन्ध रामायण काल के देवी-देवताओं से हैं।

3. त्रिप्रायर श्रीरामा मंदिर

यह मंदिर भारतीय राज्य केरल के दक्षिण-पश्चिमी शहर त्रिप्प्रयार (त्रिप्रायर) में स्थित है।

त्रिप्रायर नदी के किनारे स्थित त्रिप्रायर श्रीराम मंदिर कोडुन्गल्लुर का प्रमुख धार्मिक स्थान है। यह त्रिप्रायर में स्थित है, जो कोडुन्गल्लुर शहर से लगभग 15 किलोमीटर और त्रिशूर से 25 किलोमीटर दूर स्थित है। भगवान विष्णु के 7वें अवतार भगवान श्रीराम की इस मंदिर में पूजा की जाती है।

इस मंदिर के बारे में कई किंवदंतियां प्रचलित हैं। माना जाता है कि इस मंदिर में स्थापित मूर्ति यहां के स्थानीय मुखिया को समुद्र तट पर मिली थी। इस मूर्ति में भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान शिव के तत्व हैं अत: इसकी पूजा त्रिमूर्ति के रूप में की जाती है।

4. श्रीसीतारामचंद्र स्वामी मंदिर (भद्राचलम)

भगवान राम का यह मंदिर आंध्रप्रदेश के खम्मण जिले के भद्राचलम शहर में स्थित है। भद्राचलम की एक विशेषता यह भी है कि यह वनवासी बहुल क्षेत्र है और राम वनवासियों के पूज्य हैं।

कथाओं के अनुसार भगवान राम जब लंका से सीता को बचाने के लिए गए थे, तब गोदावरी नदी को पार कर इस स्थान पर रुके थे। मंदिर गोदावरी नदी के किनारे ठीक उसी जगह पर बनाया गया है, जहां से राम ने नदी को पार किया था।

जानिए, रामायण हमारे शरीर में हर समय होती है घट

5. श्रीतिरुनारायण स्वामी मंदिर, मेलकोट, कर्नाटक

मेलकोट या मेलुकोट कर्नाटक के मांड्या जिला तहसील पांडवपुरा का एक छोटा-सा कस्बा है, जो कावेरी नदी के तट पर बसा है।

इस स्थान को तिरुनारायणपुरम भी कहते हैं। यह एक छोटी-सी पहाड़ी है जिसे यदुगिरि कहते हैं।

यदुगिरि पहाड़ी पर दो मंदिर स्थित है। एक मंदिर भगवान नृसिंह का जो पहाड़ी के रास्ते में पहले पड़ता है और दूसरा चेलुवा नारायण का मंदिर जो पहाड़ी के सबसे उपर स्थित है। यह स्थान मैसूर से 51 किलोमीटर और बेंगलुरु से 133 किलोमीटर किलोमीटर दूर है।

6. हरिहरनाथ मंदिर (सोनपुर)

भगवान विष्णु को समर्पित हरिहरनाथ मंदिर का निर्माण भगवान राम ने त्रेतायुग में करवाया था। माना जाता है कि श्रीराम ने यह मंदिर तब बनवाया था, जब वे सीता स्वयंवर में जा रहे थे।

सारण और वैशाली जिले की सीमा पर गंगा और गंडक नदी के संगम पर स्थित इस मंदिर का निर्माण राजा मानसिंह ने करवाया। वर्तमान में जो मंदिर है, उसका जीर्णोद्धार तत्कालीन राजा राम नारायण ने करवाया था।

7. थिरुवंगड श्रीरामस्वामी मंदिर, जिला कन्नूर, थालास्सेरी (केरल)

केरल के कण्णूर जिले में स्थित थालास्‍सेरी में अंग्रेजों द्वारा बनाया गया एक प्रसिद्ध किला है। यहां से कुछ दूर ही प्रसिद्ध राम मंदिर है।

माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 2,000 वर्ष पूर्व हुआ था। इससे पहले इस स्थान पर भगवान परशुराम ने एक विष्णु मंदिर का निर्माण करवाया था। इस स्थान का संबंध अगस्त्य मुनि से भी है।

थालास्‍सेरी के सबसे नजदीक स्थित हवाई अड्डा कालीकट इंटरनेशनल एयरपोर्ट 93 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कन्नूर केरल के उत्तरी सिरे में स्थित एक छोटा लेकिन बेहद खूबसूरत तटवर्ती नगर है।

8. रामभद्रस्वामी मंदिर, तिरुविल्वमल जिला त्रिसूर (केरल)

यहां स्थित रामभद्रस्वामी का मंदिर विश्वप्रसिद्ध है। दूर-दूर से लोग इस मंदिर की भव्यता देखने आते हैं।

त्रिसूर से 85‍ किलोमीटर दूर कोच्चि का एयरपोर्ट है। हालांकि त्रिसूर नगर में रेलवे स्टेशन है, जो देश के सभी बड़े स्टेशनों से कनेक्टेड है। त्रिसूर के 47 किलोमीटर दूर स्थित थिरुविल्वमाला

9. चित्रकूट का राम मंदिर

श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सहित प्रयाग पहुंचे थे। प्रयाग को वर्तमान में इलाहाबाद कहा जाता है। यहां गंगा-जमुना का संगम स्थल है।

हिन्दुओं का यह सबसे बड़ा तीर्थस्थान है। प्रभु श्रीराम ने संगम के समीप यमुना नदी को पार किया और फिर पहुंच गए चित्रकूट। यहां स्थित स्मारकों में शामिल हैं- वाल्मीकि आश्रम, मांडव्य आश्रम, भरतकूप इत्यादि।

चित्रकूट में राम अनुसूया के आश्रम में कई महीनों तक रहे थे। 

10. मध्यप्रदेश का रामवन

अत्रि-आश्रम से भगवान श्रीराम मध्यप्रदेश के सतना पहुंचे, जहां ‘रामवन’ है। मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ क्षेत्रों में नर्मदा व महानदी नदियों के किनारे 10 वर्षों तक उन्होंने कई ऋषि आश्रमों का भ्रमण किया। दंडकारण्य क्षेत्र तथा सतना के आगे वे विराध सरभंग एवं सुतीक्ष्ण मुनि आश्रमों में गए। बाद में सुतीक्ष्ण आश्रम वापस आए। पन्ना, रायपुर, बस्तर और जगदलपुर में कई स्मारक विद्यमान हैं। उदाहरणत: मांडव्य आश्रम, श्रृंगी आश्रम, राम-लक्ष्मण मंदिर आदि।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Open chat
सहायता
Scan the code
KARMASU.IN
नमो नमः मित्र
हम आपकी किस प्रकार सहायता कर सकते है