सनातन धर्म के आदिपंच देवों में से एक शंकर जी को संहार का देवता कहा जाता है। शंंकर जी सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। अन्य देवों से माना गया है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदि स्रोत हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन हमेशा लय और प्रलय दोनों उनके अधीन रहते हैं।

पंडित एसडी शर्मा के अनुसार शिव का अर्थ है कल्याणकारी, शिव यानि बाबा भोलेनाथ, शिवशंकर, शिवशम्भू, शिवजी, नीलकंठ और रूद्र आदि नाम से भगवान शंकर हिंदुओं के शीर्ष देवता हैं, वे देवों के देव महादेव कहे गए हैं। मान्यता है कि यदि शिव को सच्चे मन से याद कर लिया जाए तो शिव प्रसन्न हो जाते हैं। धर्म कथाओं के अनुसार भगवान शंकर का माता पार्वती के साथ विवाह हुआ था।

वहीं हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव का प्रमुख पर्व महाशिवरात्रि हिंदी वर्ष के अंत में आती है, ऐसे में इस दिन पूरे वर्ष में हुई जानें अनजाने गलतियों के लिए भगवान शंकर से क्षमा याचना की जाती है और आने वाले वर्ष में उन्नति व सदगुणों के विकास के लिए प्रार्थना की जाती है।

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय

: ‘ॐ नमः शिवाय:’ पंचतत्वमक मंत्र है इसे शिव पंचक्षरी मंत्र कहते हैं। इस पंचक्षरी मंत्र के जाप से ही मनुष्य संपूर्ण सिद्धियों को प्राप्त कर सकता है। भगवान शिव का निरंतर चिंतन करते हुए इस मंत्र का जाप करें।
: व्रती दिनभर शिव मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय:’ का जाप करें तथा पूरा दिन निराहार रहें। रोगी, अशक्त और वृद्ध दिन में फलाहार लेकर रात्रि पूजा कर सकते हैं।
: शिवपुराण में रात्रि के चारों प्रहर में शिव पूजा का विधान है। माना जाता है कि इस दिन शिवपुराण का पाठ सुनना चाहिए। रात को जागरण कर शिवपुराण का पाठ सुनना हर व्रती का धर्म माना गया है।
: श्री महाशिवरात्रि व्रत करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। स्नान, वस्त्र, धूप, पुष्प और फलों के अर्पण करें। इसलिए इस दिन उपवास करना अति उत्तम कर्म है।
: वहीं सभी प्रकार के पापों का नाश करने और समस्त सुखों की कामना के लिए महाशिवरात्रि व्रत करना श्रेष्ठ माना जाता है।
: महाशिवरात्रि की रात को भगवान शिव की चार प्रहर की पूजा बड़े भाव से करने का विधान है।

भगवान शिव को दूध, दही, शहद, सफेद पुष्प, सफेद कमल पुष्पों के साथ ही भांग, धतूरा और बिल्व पत्र अति प्रिय हैं। इन मंत्रों का जाप करें-‘ओम नम: शिवाय ‘, ‘ओम सद्योजाताय नम:’, ‘ओम वामदेवाय नम:’, ‘ओम अघोराय नम:’, ‘ओम ईशानाय नम:’, ‘ओम तत्पुरुषाय नम:’। अर्घ्य देने के लिए करें ‘गौरीवल्लभ देवेश, सर्पाय शशिशेखर, वर्षपापविशुद्धयर्थमर्ध्यो मे गृह्यताम तत:’ मंत्र का जाप।

रात को शिव चालीसा का पाठ करें। इसके अतिरिक्त पूजा की प्रत्येक वस्तु को भगवान को अर्पित करते समय उससे सम्बन्धित मंत्र का भी उच्चारण करें। प्रत्येक प्रहर की पूजा का सामान अलग से होना चाहिए।

भोलेनाथ प्रसन्न को प्रसन्न करने के लिए इन बातों का ध्यान रखते हुए ये चढ़ाएं-

:- केसर, चीनी, इत्र, दूध, दही, घी, चंदन, शहद, भांग,सफेद पुष्प, धतूरा और बिल्व पत्र।
:- ॐ नम: शिवाय मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।
:- बिल्व पत्र के तीनों पत्ते पूरे होने चाहिएं, खंडित पत्र कभी न चढ़ाएं।
:- चावल सफेद रंग के साबुत होने चाहिएं, टूटे हुए चावलों ना चढ़ायें।
:- फूल ताजे ही चढ़ाएं, बासी एवं मुरझाए हुए न हों।
:- शिवलिंग पर लाल रंग, केतकी एवं केवड़े के पुष्प अर्पित नहीं किए जाते।
:- भगवान शिव पर कुमकुम और रोली का अर्पण भी निषेध है।

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