पूरी दुनिया में भगवान शंकर के बहुत सारे मंदिर हैं ज्यादातर मंदिरे हमारे देश भारत में मौजूद हैं भगवान शंकर जितने सरल और सीधे हैं उतने ही वह रहस्य आत्मक भी हैं आज हम आपको भगवान शिव के कुछ मंदिर के विषय में  जानकारी देंगे।

स्तंभेश्वर महादेव मंदिर

भेश्वर महादेव मंदिर यह मंदिर अरब सागर के तट पर हैं इस मंदिर को लगभग डेढ़ सौ साल पहले खोजा गया था स्तंभेश्वर महादेव मंदिर का वर्णन शिव महापुराण के रूद्र संहिता में किया गया है।

इस मंदिर के अंदर जो शिवलिंग है वह 4 फुट ऊंचा और दो व्यास वाला है यह मंदिर इसीलिए रहस्यात्मक है की यह मंदिर दिन में दो बार पल भर के लिए गायब हो जाता है।

कुछ ही क्षणों बाद फिर से दिखाई देने लगता है इस मंदिर का दर्शन भक्त लोग तभी कर सकते हैं जब समुद्र की लहरें बहुत कम हो वहां जाने वाले सभी भक्तों को एक विशेष पर्ची दी जाती है।

जिसमें वहां के दर्शन से लेकर सावधानी तक सभी प्रकार की सूचनाएं लिखी होती है इस मंदिर को लेकर एक पौराणिक कथा भी है।

एक बार राक्षस तारकासुर ने भगवान शंकर को खुश करने के लिए बहुत वर्षों तक तपस्या की तारकासुर की तपस्या से भगवान शिव खुश होकर प्रकट हुए।

 भगवान शंकर ने तारकासुर से वरदान मांगने को कहा वरदान में तारकासुर ने शिव से कहा कि मुझे सिर्फ आपका ही पुत्र मार सकेगा वह भी सिर्फ 6 दिन का होना चाहिए दूसरा कोई नहीं मुझे मार न सके।

मुझे ऐसा वरदान दीजिए भगवान शंकर ने  वैसा ही वरदान दिया और वही अंतर्ध्यान हो गये जैसे ही भगवान शिव ने तारकासुर को वरदान दिया तो तारकासुर ने तीनों लोकों में सब को परेशान करना शुरू कर दिया।

देवताऋषि मुनि डर के मारे भगवान भोलेनाथ के पास हाथ जोड़कर पहुंच गए देवताओं की बात सुनने के पश्चात भगवान भोलेनाथ ने कार्तिकेय को प्रकट किया।

सिर्फ 6 दिन में ही कार्तिकेय ने तारकासुर को मार दिया कार्तिकेय को जब पता चला कि तारकासुर भगवान भोलेनाथ का अनन्य भक्त हैं तो उनको बहुत दुख हुआ।

तब ब्रह्माजी ने कार्तिकेय को कहा जिस स्थान पर तुमने तारकासुर का वध किया है उसी स्थान पर भगवान भोलेनाथ का मंदिर बना दो तो तुम्हें शांति मिलेगी और तुम्हारा दुःख दूर होगा।

तभी भगवान कार्तिकेय ने अपना दुख दूर करने के लिए तारकासुर के स्मरण मैं स्तंभेस्वर मंदिर का निर्माण कराया था।

निष्कलंक महादेव मंदिर

निष्कलंक महादेव मंदिर यह मंदिर गुजरात में स्थित है इस मंदिर के नाम से ही पता चल रहा है कि यह सभी कलंक को धोने वाला मंदिर है।

 यह मंदिर पांचों पांडवों ने बनाया था जब कौरव और पांडवों में महाभारत का युद्ध हुआ युद्ध में पांडवों के हाथों कौरवों की मौत हो गई तब कौरवों को एहसास एहसास हुआ कि हमने तो अपने ही भाइयों का कत्ल किया है।

 इस कलंक को मिटाने के लिए भगवान श्री कृष्ण के आदेश के अनुसार पांचो पांडव ने इस मंदिर का निर्माण कराया था।

अचलेश्वर महादेव मंदिर

इस नाम से पूरे भारत देश में बहुत सारे मंदिर बने हुए हैं लेकिन प्रमुख मंदिर राजस्थान के धौलपुर में स्थित है।

इस मंदिर की सबसे बड़ी और हैरान कर देने वाली बात यह है कि यह मंदिर में स्थित शिवलिंग एक दिन में तीन  बार अपना रंग बदलती है।

सुबह शिवलिंग का रंग लाल और दोपहर में केसरिया और शाम ढलते ढलते इसका रंग सावला हो जाता है अचलेश्वर शिवलिंग की एक और विशेषता है।

इस शिवलिंग के छोर को आज तक कोई नहीं जान पाया कि यह कितना बड़ा है बहुत बार शिवलिंग के छोर को जानने के लिए खुदाई भी की गई लेकिन इसका पता न चल सका।

लक्ष्मेश्वर महादेव मंदिर

लक्ष्मेश्वर महादेव मंदिर यह मंदिर भी बहुत प्राचीन है ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना स्वयं भगवान राम ने जब खर और दूषण को मार दिया उसके पश्चात लक्ष्मण के कहने पर किया था।

इस शिवलिंग की यह विशेषता है इस शिव लिंग में एक लाख छेद हे और इन 1 लाख छिद्रों की अलग-अलग विशेषताएं हैं शिवलिंग में एक लाख छेद होने के कारण इस मंदिर का नाम लक्ष्यस्वर महादेव मंदिर पड़ा।

बिजली महादेव मंदिर

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्थित बिजली महादेव मंदिर कुल्लू का पूरा इतिहास बिजली से ही जुड़ा हुआ है व्यास और पार्वती नदी के पास एक ऊंचे पर्वत में यह शिवलिंग स्थित है ऐसी मान्यता है कि हर 12 वर्ष में शिवलिंग के ऊपर एक बिजली गिरती है और वह शिवलिंग खंडित हो जाता है वहां के पुजारी मक्खन आदि से उस शिवलिंग को पुनः जोड़ कर यथावत कर देते हैं

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