हमारे पुराणों में चार युगों का वर्णन मिलता है सतयुग, त्रेतायुग. द्वापरयुग और कलयुगकलयुग को एक श्राप कहा जाता है। पर क्या आपको पता है कि इस पृथ्वी पर कलयुग कैसे आया और कैसे हुई थी पृथ्वी पर कलयुग का शुरुआत? चलिए आज आपको हम बताते हैं
क्या हम सब ने कभी इस बात पर ध्यान दिया है कि ऐसे क्या कारण रहे होंगे जिसके चलते कलयुग को धरती पर आना पड़ा। कलयुग का प्रभाव पृथ्वी पर जब दिखना शुरू हुआ जब महाभारत के युद्ध के बाद पांडवो ने अपना राजपाठ अर्जुन के बेटे, परीक्षित को सौप कर स्वर्ग की ओर चले गए। वही भगवान श्री कृष्ण भी मानव शरीर त्याग कर वैकुण्ठ लोक चले गए। पांडवो और भगवान श्री कृष्ण के जाने के बाद कलियुग ने प्रभाव दिखाना शुरू किया।

कलयुग की की शुरुआत कैसे हुई

कलयुग की शुरुआत एक पौराणिक कथा से जुड़ी हुई है। जिसके अनुसार एक बार राजा परीक्षित भ्रमण करने निकले थे रास्ते में उन्होंने देखा, कलि (कलि के युग को ही कलियुग कहते हैं) एक बैल को मार रहा है, उस बैल का एक टांग ही है। यह बैल धर्म था। यह देख राजा परीक्षित को काफी क्रोध आया कलि को मारने दौड़े। कलि(कलयुग) राजा परीक्षित को आते देख डर गया और राजा परीक्षित से रहम की मांग करने लगा। इस पर राजा परीक्षित ने दया दिखाते हुए कहा कि “तू मेरे राज्य से निकल जा और कही और जा कर रह”। ये सुन कलि(कलयुग) ने कहा की “पूरे धरती पर आपका ही राज है, मैं धरती छोड़ का कहाँ जाऊ”। इस बात पर राजा परीक्षित ने दया दिखाते हुए कहा “जहां अधर्म, चोरी, झूठ हो वहां चले जा और वहां जाकर रह”।लेकिन इन सब स्थानों से कलि(कलयुग) को संतुष्टी नहीं हुई और एक बेहतर जगह मांगने लगा। इस पर राजा परीक्षित ने कलि (कलयुग) को सोने में रहने के लिए कह दिया। यह सुन कलि(कलयुग) काफी खुश हो गया और मान गया। कलि (कलयुग) ने मौका देखकर राजा के सोने के मुकुट में प्रवेश कर लिया। इससे राजा परीक्षित की मानसिक क्षमता (मति) ख़राब हो गयी। राजा परीक्षित के मस्तिस्क में नकारात्मक विचार उत्पन्न होने लगे।

राजा परीक्षित ने पास में गुजर रहे एक सांप को मार दिया और उसे ध्यान लगा कर बैठे, एक साधू के गले में डाल दिया। साधू ने जब अपनी आँखे खोली तो उसने अपने गले में मारा हुआ सांप देखा। यह देख साधू को राजा परीक्षित पर काफी क्रोध आया। साधू ने तुरंत राजा परीक्षित को श्राप दिया कि “तेरी मौत आज से सातवे दिन हो जाएगी”।राजा परीक्षित वापस राजमहल आये और माथे से सोने का मुकुट उतारा। सोने का मुकुट उतारते ही उन्हें आपकी गलती का एहसास हुआ। एहसास होते ही राजा परीक्षित दौड़े-दौड़े साधू के पास गए और क्षमा याचना करने लगे। इसपर साधू ने कहा दिया हुआ श्राप वापस नहीं हो सकता लेकिन तुम्हारे पास सात दिन है। इन सात दिनों में जितना अच्छा कर्म कर सकते हो कर लो। इसके बाद राजा परीक्षित वापस राजमहल आ गए और सात दिन बात राजा परीक्षित की मौत हो गयी। राजा परीक्षित के मरने के बाद कलियुग ने पूरे धरती को अपनी चपेट में ले लिया और हर तरफ पाप और अधर्म करने लगा। फिर इसी तरह से कलयुग का आगमन धरती पर हुआ

कितने वर्षो का होगा कलयुग

वैदिक आलेख के अनुसार चार युग होते हैं।सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग। हिन्दू सनातन धर्म के अनुसार हर चार युग बाद ब्रह्माण्ड में जीवन बनता है और नष्ट होता है।

सत्ययुग
सतयुग चार युगों में से धरती पर पहला युग था। इस युग में बुराई , झूठ ,क्रोध ,वासना और अहंकार नहीं था। नहीं थे। इस युग में ना किसी को कोई बीमारी थी ना किसी को कोई दुख था। कहा जाता है कि सतयुग में मानव अपनी इच्छा से मृत्यु प्राप्त करता था। सतयुग का कुल समय 17,28,000 मानव वर्ष का था। सत्ययुग में मानव का औसत जीवनकाल 1,00,000 वर्ष होता था। सतयुग में धर्म के चार पांव थे। इस युग का अंत भगवान परशुराम के जन्म के बाद हुआ।

त्रेतायुग
सतयुग के बाद त्रेतायुग आया। इस यूग में राज्यों और प्रान्तों का जन्म हुआ कई राजा दुसरे देशो परआक्रमण कर उसे जीत कर अपना बल और प्रभुत्व दिखाते थे। इस युग में धर्म के तीन पांव रह गए थे। एक चौथाई लोग बुराई, पाप और हिंसा करने लगे थे। इस युग में मनुष्य के कद की लम्बाई 21 फीट रह गयी थी। त्रेतायुग का कुल समय 12,96,000 मानव वर्ष का था। त्रेतायुग में मानव का औसत जीवनकाल 10,000 वर्ष होता था। भगवन राम का जन्म इसी युग में हुआ था।

द्वापरयुग
त्रेतायुग युग के बाद तीसरा युग द्वापरयुग था। इस युग में लालच, क्रोध, झूठ फ़ैल गया था। इस युग में मनुष्य के कद की लम्बाई 12 फीट रह गयी थी। इस युग में धर्म के दो पांव रह गए थे। द्वापरयुग का कुल समय 8,64,000 मानव वर्ष का था। द्वापरयुग में मानव का औसत जीवनकाल 1000 वर्ष होता था। द्वापरयुग में ही भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था और महाभारत भी इसी युग में हुआ था।

कलियुग
कलियुग चौथा और अंतिम युग है। इस युग में अधर्म अपने चरम पर पहुंच जाएगा। इस युग में देवता मात्र 10000 वर्षो तक ही धरती पर रहेंगे इसके बाद देवता भी धरती से चले जाएंगे। इस युग में धर्म के एक पांव रह गए है। कलियुग का कुल समय 4,32,000 मानव वर्ष का होगा। अभी कलयुग के मात्र 5000 वर्ष ही पूरे हुए हैं। कलियुग में मानव का औसत जीवनकाल 100 वर्ष होता है।जैसे जैसे कलियुग बढ़ता जायेगा वैसे पाप, क्रोध, लालच, हिंसा, वासना, स्वार्थ, बुराई बढती जाएगी और अच्छे कर्म जैसे की दया, क्षमा, सत्य, धर्म ख़त्म होते जायेंगे। जब घोर कलियुग आएगा तब मनुष्य की आयु मात्र 12 वर्षो की रह जाएगी और मनुष्य का आकार घटकर मात्र 4 इंच की रह जाएगी। इस युग का अंत भगवान विष्णु द्वारा कल्कि के अवतार में होगा जो बुराई का अंत करेंगे। कलियुग ख़त्म होने के बाद फिर से एक नए सतयुग की शुरुआत होगी।

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