पातालपुरी मंदिर धरती के नीचे स्थित एक मंदिर है जो इसके नाम से पता चलता है।
पातालपुरी मंदिर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के प्रयागराज जिले में स्थित है। पातालपुरी मंदिर संगमनगरी के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। पातालपुरी मंदिर धरती के नीचे स्थित एक मंदिर है जो इसके नाम से पता चलता है। पातालपुरी मंदिर और अक्षय वट वृक्ष दोनों एक दूसरे के निकट स्थित है। अक्षय वट वृक्ष के बारे में यह कहा जाता है कि जब तक पूरी दुनिया है, तब तक अक्षय वट वृक्ष खड़ा रहेगा।
मंदिर का इतिहास
पातालपुरी मंदिर प्रयागराज के इलाहाबाद किले के तहखाने के अन्दर स्थित है। पातालपुरी मंदिर परिसर में छठवीं शताब्दी की मूर्तियां भी स्थापित है। इससे ये मंदिर कितना पुराना है इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है।
इलाहाबाद किला अकबर ने 1583 में बनवाया था। पातालपुरी मंदिर तक पहुंचने के लिए इलाहाबाद किले से एक सड़क बनाई गई है। मंदिर परिसर में अक्षय वट वृक्ष और सरस्वती कूप स्थित है। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि श्री राम, लक्ष्मण और सीता ने मंदिर का दौरा किया था। यहां वह स्थान भी मौजूद है जहां त्रेता युग में माता सीता ने अपने कंगन दान किए थे। इसी के साथ इस मंदिर का उल्लेख चीनी यात्री ह्वेन त्सांग के वृत्तांतों में भी मिलता है।
Patalpuri mandir मंदिर का महत्व
पातालपुरी मंदिर के परिसर में स्थित अक्षय वट वृक्ष के बारे में बताया जाता है कि यह पेड़ अमर है और जब तक दुनिया है तब तक यह पेड़ खड़ा रहेगा। ऐसा माना जाता है कि पातालपुरी मंदिर में भगवान राम और प्रहलाद आये थे। प्रसिद्ध चीनी यात्री और लेखक ह्यूएन त्संग ने अपनी भारत की यात्रा के दौरान इस मंदिर का दौरा किया था।
पातालपुरी के परिसर में सरस्वती कूप है। यह बहुत गहरा कुआँ है और इसे भरने के प्रयास विफल रहे हैं। ऐसा कहा जाता है कि इसका बारहमासी स्रोत दो पवित्र नदियों के संगम पर है। ऐसा माना जाता है कि इसी स्थान पर सरस्वती नदी लुप्त हो गई थी। भगवान अपने अर्धनारीश्वर रूप में विराजमान है, साथ ही तीर्थों के राजा प्रयाग की भी प्रतिमा है। यहां भगवान शनि को समर्पित एक अखंड ज्योति है, जो 12 महीने प्रज्वलित होती रहती है।
मंदिर की वास्तुकला
मंदिर इलाहाबाद किले के अंदर बने तहखाने नुमा स्थान पर बना हुआ है। इतिहासकार बताते हैं कि मुगलकाल में जब अकबर ने यहां किले का निर्माण करवाया था, तो पुराना मंदिर और ऐतिहासिक अक्षयवट वृक्ष पृथ्वी के धरातल से नीचे हो गए। अकबर के शासनकाल में बने इस किले में मुगल वास्तुकला की झलक देखने को मिलती है। पातालपुरी बड़े-बड़े खंभों पर खड़ा हुआ है। यहां पर एक लाइन से आपको देवी देवताओं के दर्शन करते हुए बाहर निकलने का मार्ग बना है। उसके बाद सीढ़ियां बनी हुई है। मंदिर में श्री राम जी, माता सीता जी, लक्ष्मण जी, भैरव बाबा समेत 43 देवी-देवताओं की मूर्तियां विराजमान है।
मंदिर का समय
पातालपुरी मंदिर खुलने का समय
07:00 AM – 06:30 PM
सुबह आरती का समय
07:00 AM – 08:00 AM
शाम की आरती का समय
06:00 PM – 06:30 PM
मंदिर का प्रसाद
पातालपुरी मंदिर में श्रद्धालु फल, मेवा, बेसन के लड्डू का भोग चढ़ाते हैं। श्रद्धालु अपनी श्रद्धा के अनुसार ड्राई फ्रूट्स और दूध के पेड़े को भी मंदिर में चढ़ाते हैं।