भारतीय संस्कृति में रक्षाबंधन पर्व का खास महत्व है. इस दिन भाई अपनी बहनों के हाथों में राखी बांधती है और भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देता है.धार्मिक ग्रंथों में रक्षाबंधन को लेकर कई प्रकार की पौराणिक कथाओं के बारे में बताया गया है.आइए जानें इसकी शुरुआत कैसे हुई और इससे जुड़ी कौन सी कहानियां प्रचलित हैं.

भाई बहन के प्यार का पर्व रक्षाबंधन सावन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. इस पर्व पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उनसे अपनी रक्षा का वचन लेती हैं. रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का ये पवित्र त्योहार क्यों मनाया जाता है? इसके पीछे दो कथाएं प्रचलित हैं. काशी के विद्वान स्वामी कन्हैया महराज ने बताया कि भाई बहन के प्यार के इस पर्व का सीधा कनेक्शन द्वापर युग से है.

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कथाओं के अनुसार, शिशुपाल के युद्ध के समय भगवान श्री कृष्ण की तर्जनी उंगली कट जाने के कारण उनके हाथ से जब खून गिरने लगा तो द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनके हाथ पर बांध दिया था. इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को उनकी रक्षा का वचन दिया था. इसी वचन के तहत द्रौपदी के चीरहरण के वक्त भगवान श्री कृष्ण ने उनकी रक्षा की. तब से इस त्योहार को मनाया जा रहा है.

कृष्ण और द्रौपदी

त्रेता युग में महाभारत की लड़ाई से पहले श्री कृष्ण ने राजा शिशुपाल के खिलाफ सुदर्शन चक्र उठाया था, उसी दौरान उनके हाथ में चोट लग गई और खून बहने लगा तभी द्रौपदी ने भगवान श्री कृष्ण की उंगली में अपनी साड़ी से टुकड़ा फाड़ कर बांधी थी, बदले में श्री कृष्ण ने द्रोपदी को भविष्य में आने वाली हर मुसीबत में रक्षा करने की कसम दी थी. उसी चीर बांधने के कारण कृष्ण ने चीर हरण के समय द्रौपदी की रक्षा की इसलिए रक्षाबंधन का त्योहार बनाया जाता है.

भगवान इंद्र से जुड़ी है ये कथा

रक्षाबंधन को मनाए जाने के पीछे एक और कहानी देवताओं के राजा इंद्र और असुरों के राजा बलि से जुड़ी है. भविष्य पुराण के मुताबिक, असुरों के राजा बलि ने जब देवताओं पर हमला किया तो इससे इंद्र की पत्नी सची काफी व्याकुल हो गईं थीं. इस युद्ध में देवताओं की जीत के लिए तब सची ने भगवान विष्णु से मदद मांगी तो उन्होंने सची को एक धागा दिया और कहा कि इसे अपने पति की कलाई पर बांधे जिससे उनकी जीत होगी. सची ने ऐसा ही किया तो उस युद्ध में इंद्र की जीत हुई थी. यही वजह है कि पुराने समय में युद्ध में जाने से पहले बहनें और पत्नियां अपने भाइयों और पति को रक्षा सूत्र बांधती हैं.

बहनें लेती हैं भाइयों से रक्षा का वचन

रक्षाबंधन के त्योहार पर बहनें अपने भाइयों की लम्बी आयु की कामना के साथ उनके कुशल स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती हैं. इसके साथ ही भाई अपनी बहन को आजीवन रक्षा का वचन भी देता है.

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