काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है। हिंदू पुराणों में भी इसका उल्लेख मिलता है। इस मंदिर को इतिहास में कई बार नुकसान भी पहुंचाया गया लेकिन आज भी इसका महत्व बरकरार है।

काशी विश्वनाथ मंदिर  भगवान शिव  से जुड़े 12 ज्योतिर्लिंग में से एक भी है। वाराणसी  में स्थित इस मंदिर का हिंदू धर्म में बेहद खास स्थान है। वाराणसी को ही बनारस या काशी भी कहते हैं।

उत्तर प्रदेश में स्थित इस शहर को लेकर ऐसी मान्यता है कि ये भगवान शंकर के त्रिशूल पर टिका है और ये भारत के सबसे पुराने और आध्यात्मिक शहरों में से एक है। ऐसे तो इस शहर में कई मंदिर, घाट और पर्यटन स्थल है लेकिन काशी विश्वनाथ मंदिर का अलग ही महत्व है। 

काशी विश्वनाथ मंदिर की विशेषता क्या है, इस मंदिर को कब बनाया गया, ये मंदिर कब खुलता है, कैसे यहां पहुंच सकते हैं और भगवान के दर्शन कर सकते हैं और वाराणसी में कहां ठहरें, इन सभी बातों की जानकारी हम देने जा रहे हैं। 

जानें, बाबा की नगरी काशी के विश्वनाथ मंदिर की पौराणिक कथा

काशी विश्वनाथ मंदिर की कहानी

पवित्र गंगा नदी के पश्चिमी घाट पर स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर एक बेहद दिलचस्प पौराणिक कहानी है। इस कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा में इस बात को लेकर बहस हो गई कि कौन अधिक शक्तिशाली या महत्वपूर्ण है।

इस विवाद के बीच भगवान शिव मध्यस्थता करने पहुंचे और एक विशाल प्रकाश स्तंभ या कह लीजिए कि ज्योतिर्लिंग का रूप धारण कर लिया। 

इसके बाद उन्होंने ब्रह्मा और विष्णुजी से इसके स्रोत और ऊंचाई का पता लगाने के लिए कहा। ये बात सुनकर ब्रह्मा अपने हंस पर हवार हो गए और आकाश में ऊंचे उड़ने लगे ताकि ऊंचाई का पता लगाया जा सके। 

दूसरी ओर भगवान विष्णु एक शूकर का रूप धारण करके पृथ्वी के अंदर खुदाई करने लगे। कहते हैं कि कई युगों तक दोनों इस बात का पता लगाने की कोशिश करते रहे। अंत में विष्णुजी हारकर वापस आते हैं और शिव के इस रूप के सामने नतमस्तक हो जाते हैं।

दूसरी ओर ब्रह्मा अपनी हार स्वीकार नहीं करते और झूठ बोल देते हैं कि उन्होंने स्तंभ का ऊपरी सिरा देखा है। 

इस झूठ पर शिव उन्हें शाप देते हैं कि उनकी कभी पूजा नहीं होगी। ऐसी मान्यता है कि इसीलिए आज भी ब्रह्मा का कोई मंदिर नहीं है। बहरहाल, इस स्तभ के कारण वो स्थान जहां-जहां से पृथ्वी के भीतर से शिव का दिव्य प्रकाश निकला था, वे ही 12 ज्योतिर्लिंग कहलाए। 

काशी विश्वनाथ मंदिर भी इन्ही में से एक हैं। इन सभी ज्योतिर्लिंगों के स्थान पर बने मंदिर में शिवलिंग चमकदार रूप में मौजूद हैं।

काशी विश्वनाथ मंदिर ज्ञानवापी मस्जिद विवाद

हजारों साल पुराने काशी विश्वनाथ मंदिर पर समय और उसके हिसाब से राजनीति का असर भी देखने को मिलता रहा है। इस मंदिर का पहली बार निर्माण कब हुआ होगा, इसे लेकर अभी भी कुछ कहना मुश्किल है। हालांकि, पुराणों में इसका जिक्र जरूर है।

इतिहास में काशी के इस मंदिर को 1194 में कुतुब-उद-दीन ऐबक द्वारा नुकसान पहुंचाए जाने का उल्लेख मिलता है, जब उसने कन्नौज के राजा को हराया। इल्तुतमीश के काल में इसे दोबारा बनाया गया लेकिन बाद में फिर इसे तोड़ा गया। मुगल शासक अकबर के काल में भी इसे फिर से राजा मान सिंह द्वारा बनवाए जाने का उल्लेख मिलता है।

काशी विश्वनाथ मंदिर की कहानी और इतिहास

बाद में अकबर के शासन काल में ही राजा टोडरमल द्वारा मंदिर के पुनरोद्धार कराए जाने का भी उल्लेख इतिहास में है। कुछ दशकों बाद औरंगजेब ने इसे फिर नुकसान पहुंचाया और मंदिर के एक स्थान पर मस्जिद बनवाया। बहरहाल, इन तमाम उठापटक के बीच आज जो मंदिर हम देखते हैं उसे इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने 1780 में बनाया। ये मस्जिद से ठीक सटा हुआ है।

काशी विश्वनाथ मंदिर कब खुलता है और दर्शन का समय

काशी विश्वनाथ मंदिर हर दिन तड़के 2.30 बजे खुलता है और दिन भर में 5 आरती यहां की जाती है। दिन की पहली आरती तड़के 3 बजे की जाती है। वहीं, आखिरी आरती रात 10.30 बजे होती है। 

काशी विश्वनाथ मंदिर में सुबह 3 बजे होती है पहली आरती

भक्तों के लिए मंदिर सुबह 4 बजे खुल जाता है। भक्तगण दिन में कभी भी जाकर मंदिर में दर्शन-पूजन कर सकते हैं। वैसे आप ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के जरिए भी पूजा और दर्शन का समय पहले से फिक्स कर सकते हैं।

काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए ऑनलाइन आवेदन कैसे करें?

काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए श्रद्धालुओं को इसमें आरती, रूद्राभिषेक कराने, सुगम दर्शन, पूजा, यात्रा आदि में से आपको विकल्प चुनने होंगे और तमाम विवरण भरने होंगे। इसी वेबसाइट पर हेल्प डेस्क नंबर भी है, जहां से आप और विस्तृत जानकारी हासिल कर सकते हैं।

काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए बनारस कैसे पहुंचे और कहां ठहरे

बनारस देश के लगभर हर बड़े शहर से फ्लाइट, ट्रेन और बस सेवा से जुड़ा है। आप किसी भी माध्यम से यहां पहुंच सकते हैं। बनारस एक बड़ा पर्यटन और धार्मिक स्थल है। ऐसे में यहां पर आपको सस्ते और महंगे हर तरह से होटल और लॉज मिल जाएंगे। 

एक अनुमान के अनुसार इस शहर में 3000 से अधिक मंदिर हैं। गंगा आरती भी यहां देखी जा सकती है। यह आरती दशाश्वमेध घाट पर होती है। बनारस के घाटों को देखने और आध्यात्मिक अनुभव को भी हासिल करने के लिए यहां देश-विदेश से हजारों पर्यटक आते हैं। 

एक खास बात ये भी है वाराणसी कई शताब्दियों से हिन्दू मोक्ष तीर्थस्थल माना जाता रहा है। मान्यता है कि काशी में मनुष्य के देहावसान पर स्वयं महादेव उसे मुक्ति देते हैं। इसीलिए अधिकतर लोग यहां काशी में अपने जीवन का अंतिम समय व्यतीत करने आते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Open chat
सहायता
Scan the code
KARMASU.IN
नमो नमः मित्र
हम आपकी किस प्रकार सहायता कर सकते है