कामदेव सौंदर्य और कल्याण के देवता माने जाते हैं। कामदेव की पत्नी का नाम रति है। प्रेम और सौंदर्य की प्राप्ति के लिए इनकी आराधना खासतौर से की जाती है। कामदेव वह देवता हैं, जिन्होंने भगवान शिव को भी समाधि से विचलित कर दिया था। कामदेव का एक नाम अनंग यानी बिना अंग वाला भी है। भगवान शिव ने ही क्रोध में आकर कामदेव को अनंग बना दिया था। इसी कारण कामदेव दिखते नहीं हैं, लेकिन महसूस सभी को होते हैं।

सर्वप्रथम उत्पत्ति
वेदों के अनुसार कामदेव की उत्पत्ति सर्वप्रथम हुई, यह विश्वविजयी भी हैं-
कामो जज्ञे प्रथमो नैनं देवा आपु: पितरो न मत्र्या:।
ततस्त्वमसि ज्यायान् विश्वहा महांस्तस्मैते काम।

अर्थ- कामदेव सर्वप्रथम उत्पन्न हुआ। जिसे देव, पितर और मनुष्य न पा सके। इसलिए काम सबसे बड़ा विश्वविजयी है।

ऐसा है कामदेव का स्वरूप
कामदेव सौंदर्य की मूर्ति हैं। उनका शरीर सुंदर है, वे गन्ने से बना धनुष धारण करते हैं। पांच पुष्पबाण ही उनके हथियार हैं। भगवान शिव पर भी कामदेव ने पुष्पबाण चलाया था। इन बाणों के नाम हैं- नीलकमल, मल्लिका, आम्रमौर, चम्पक और शिरीष कुसम। ये तोते के रथ पर मकर अर्थात मछली के चिह्न से अंकित लाल ध्वजा लगाकर विचरण करते हैं।

ब्रह्मा के हृदय से जन्म
श्रीमद्भागवत के अनुसार, सृष्टि में कामदेव का जन्म सबसे पहले धर्म की पत्नी श्रद्धा से हुआ था। देवजगत में ये ब्रह्मा के संकल्प पुत्र माने जाते हैं। ऐसा कहते हैं कि ये ब्रह्मा के हृदय से उत्पन्न हुए थे-
हृदि कामो भ्रुव: क्रोधो लोभश्चाधरदच्छदात।
श्रीमद्भागवत-3/12/26
अर्थ- ब्रह्मा के हृदय से काम, भौंहों से क्रोध और नीचे के होंठ से लोभ उत्पन्न हुआ।

ये हैं कामदेव के अन्य नाम
कामदेव के अनेक नाम हैं जैसे- कंदर्प, काम, मदन, प्रद्युम्न, रतिपति, मदन, मन्मथ, मीनकेतन, कमरध्वज, मधुदीप, दर्पका, अनंग

देवताओं के लिए दिया बलिदान
कामदेव का तन जितना सुंदर है, मन भी उतना ही सुंदर है। मन की सुंदरता का प्रमाण है देवताओं के लिए बलिदान। देवताओं पर जब संकट आया तो कामदेव ने अपने आप को दांव पर लगा दिया। कथा है कि तारकासुर के अत्याचारों से परेशान देवता ब्रह्माजी के पास गए। ब्रह्माजी ने बताया कि महादेव के औरस से कार्तिकेय उत्पन्न होंगे तब वे ही देवसेनापति होकर तारकासुर का वध करेंगे। शिव उस समय समाधि में थे। उनकी समाधि भंग करने की हिम्मत किसी में नहीं थी। देवताओं ने कामदेव से प्रार्थना की। कामदेव तैयार हो गए, देवताओं की मदद के लिए जान की बाजी लगाने से वे पीछे नहीं हटे। कामदेव को पता था कि जो काम वे करने जा रहे हैं उसमें प्राणों का संकट है, लेकिन देवताओं की भलाई के लिए उन्होंने यह कठिन काम किया। शिव की समाधि भंग हुई और उनके तीसरे नेत्र से कामदेव के अंग भस्म हो गए। तभी से कामदेव अनंग नाम से प्रसिद्ध हुए।

विभिन्न धर्मग्रंथों में इसका उल्लेख है-
सौरभ पल्लव मदनु बिलोका। भयउ कोपु कंपेउ त्रैलोका॥
तब सिवं तीसर नयन उघारा। चितवत कामु भयउ जरि छारा॥

अर्थ- कामदेव द्वारा छोड़े गए पुष्पबाण से समाधि भंग होने के बाद भगवान शिव ने आम के पत्तों में छिपे हुए कामदेव को देखा तो बड़ा क्रोध हुआ, जिससे तीनों लोक कांप उठे। तब शिवजी ने तीसरा नेत्र खोला, उनके देखते ही कामदेव जलकर भस्म हो गए।

भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न थे कामदेव
द्वापर काल में कामदेव ने ही भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के रूप में जन्म लिया था। भगवान शंकर के शाप से जब कामदेव भस्म हो गया तो उसकी पत्नी रति अति व्याकुल होकर पति वियोग में उन्मत्त सी हो गई। उसने अपने पति की पुनः प्रापत्ति के लिये देवी पार्वती और भगवान शंकर को तपस्या करके प्रसन्न किया। पार्वती जी ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि तेरा पति यदुकुल में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र के रूप में जन्म लेगा और तुझे वह शम्बासुर के यहाँ मिलेगा। इसीलिये रति शम्बासुर के घर मायावती के नाम से दासी का कार्य करने लगी।

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