यह व्रत रखने से पाप और कष्ट मिटते हैं. भगवान श्री विष्णु की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. जो लोग व्रत रखते हैं, उनको कामदा एकादशी व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए. किसी कारणवश आप पाठ नहीं कर सकते हैं, तो कामदा एकादशी व्रत कथा को सुन लें. ऐसा करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है. आइए जानते हैं कामदा एकादशी व्रत कथा के बारे में.

उस राजा की पत्नी ने चैत्र एकादशी का व्रत रखकर भगवान् नारायण से प्रार्थना की थी कि मेरे इस व्रत का फल मेरे पति को प्राप्त हो जाये। भगवान् नारायण ने पत्नी के व्रत का फल उसके राक्षस बन चुके पति राजा पुंडरीक को दे दिया जिससे वह राक्षस से एक बार फिर से राजा बन गया।

कामदा एकादशी व्रत कथा

एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के बारे में बताने की प्रार्थना की. तब भगवान श्रीकृष्ण ने उनसे कहा कि चैत्र शुक्ल एकादशी व्रत को कामदा एकादशी कहते हैं. इस व्रत को करने से पाप से मुक्ति मिलती है. इस एकादशी व्रत की कथा इस प्रकार है

प्राचीन काल में एक भोगीपुर राज्य था, जिसका राजा पुंडरीक था. वह धन एवं ऐश्वर्य से युक्त था. उसके ही राज्य में ललित और ललिता नाम के स्त्री और पुरुष रहते थे. दोनों एक दूसरे से बेहद प्रेम करते थे. एक बार राजा पुंडरीक की सभा में ललित अन्य कलाकारों के साथ गाना गा रहा था, उसी दौरान ललिता को देखकर उसका ध्यान भंग हो गया और वह स्वर बिगड़ गया

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