सोने के दौरान हम कई बार रैपिड आई मूवमेंट से गुजरते हैं और इसी दौरान हमें सपने दिखाई देते हैं. यह मूवमेंट सोने के 10 मिनट बाद ही शुरू हो जाता है. सोते समय सपने देखना हमारे जीवन के काफी करीब से जुड़ा हुआ है. यूं तो सपनों पर हमारा कोई कंट्रोल नहीं होता, इसी वजह से हमें अच्छे और बुरे सपने दोनों आते हैं. हालांकि, सपनों में दिखाई देने वाले दृश्य बहुत ज्यादा तो नहीं लेकिन थोड़े बहुत हमारी जिंदगी से अवश्य जुड़े होते हैं. अब सपनों को लेकर जो कुछ साधारण बातें हैं, उनके बारे में बताने की कोई खास जरूरत नहीं है क्योंकि आप भी सपने देखते हैं और आप अगर सपने देखते हैं तो आप ये भी जानते होंगे कि आप रात में सोते हुए जितने सपने देखते हैं, उनमें से ज्यादातर सपने नींद खुलते ही भूल जाते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि हम कुल देखे जाने वाले सपनों में से करीब 90 फीसदी सपनों को याद नहीं रख पाते और उन्हें भूल जाते हैं. लेकिन ऐसा होता क्यों है कि हम ज्यादातर सपने भूल जाते हैं? आज हम आपको इसी सवाल का जवाब देंगे.

सोने के दौरान रैपिड आई मूवमेंट से गुजरते हैं हम

सपनों को लेकर वैज्ञानिकों ने तमाम रिसर्च और स्टडी की है. वैज्ञानिकों की मानें तो सोने के दौरान हम कई बार रैपिड आई मूवमेंट से गुजरते हैं और इसी दौरान हमें सपने दिखाई देते हैं. यह मूवमेंट सोने के 10 मिनट बाद ही शुरू हो जाता है. दरअसल, सोते वक्त के दौरान हमारा दिमाग पूरी तरह से शांत नहीं होता और एक्टिव मोड में रहता है. इस समय दिमाग में कुछ न कुछ चीजें चल रही होती हैं और यही वजह है कि हमें सपने दिखाई देते हैं. रात में सोने के बाद हर डेढ़ घंटे के अंतराल में हम में होते हैं. की ये अवधि करीब 20 से 25 मिनट तक रहती है और इसी दौरान हम तरह-तरह के सपने देखते हैं.

इस तरह के लोगों को नहीं याद रहते सपने

अमेरिका के हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में नींद को लेकर स्टडी करने वाले रॉबर्ट स्टिकगोल्ड ने बीबीसी के साथ बातचीत करते हुए बताया कि कई लोग सपने में देखे गए दृश्यों को भूल जाते हैं जबकि कई लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें अपने सपने याद रहते हैं. स्टिकगोल्ड के मुताबिक इन दोनों परिस्थितियों के पीछे अलग-अलग वजह होती हैं. रॉबर्ट स्टिकगोल्ड की मानें तो जो लोग एक निश्चित समय पर सोते हैं और अलार्म बजने के बाद उठकर तुरंत ऑफिस जाने की तैयारियों में लग जाते हैं, ऐसे लोगों को सपने याद रखने की संभावना बहुत कम होती है. वहीं दूसरी ओर, जिन लोगों के पास ज्यादा काम नहीं होता और नींद खुलने के बाद भी आंखें बंद किए रहते हैं, उन्हें सपने भूलने की संभावना बहुत कम होती है. आपको बता दें कि कई रिपोर्ट में ये भी कहा जाता है कि जो लोग सपने भूल जाते हैं, वे मानसिक रूप से स्वस्थ होते हैं जबकि जिन लोगों को कई सपने याद रहते हैं वे मानसिक रूप से थोड़े अस्थिर हो सकते हैं.

अधूरी नींद है कारण

परेशान कर देने वाले सपनों का आना हमारी नींद के पूरी न होने से संबंध है.हमारा दिमाग नींद की कमी को पूरा करने के के लिए इस तरह के सपने दिखाता है. परेशान कर देने वाले सपने आने की यह प्रक्रिया नींद की रैपिड आई मूवमेंट स्टेज में होती है.  रैपिड आई मूवमेंट का मतलब होता है नींद के हर एक चक्र की आखिरी स्टेज पर आती है. यह वो समय है जिसमें व्यक्ति को सबसे ज्यादा सपने आते हैं.आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रात की नींद के कुल 4 से 6 चक्र होते है.

तनाव है बड़ा कारण

अक्सर काम का तनाव अन्य तमाम वजहों से होने वाले वाले तनाव की वजह से लोगों को नींद नहीं आती है. ऐसे में नींद के अधूरेपन के बीच व्यक्ति को जब भी गहरी और भरपूर नींद आती है तो रैपिड आई मूवमेंट नींद की स्टेज बढ़ जाती है .इसकी वजह से व्यक्ति को अधिक गहरे सपने आते हैं और कई बार ये सपने बहुत डरावने होते हैं.

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