Shardiya Navratri 2023 शारदीय नवरात्रि हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह नौ दिनों का त्योहार देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है। नवरात्रि के पहले दिन, कलश स्थापना की जाती है, जो एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है।
कलश स्थापना के लिए, एक मिट्टी का कलश लिया जाता है और उसे पानी से भर दिया जाता है। कलश के ऊपर आम के पत्ते, सुपारी, सिक्के और एक कलावा (पवित्र धागा) रखा जाता है। कलश के अंदर एक मुट्ठी जौ के बीज भी डाले जाते हैं।
कलश को पूर्व या उत्तर दिशा में एक ऊंचे स्थान पर स्थापित किया जाता है। कलश को स्थापित करने से पहले, एक छोटी सी वेदी बनाई जाती है और उस पर देवी दुर्गा के प्रतीक चिन्ह, जैसे कि अष्टदल कमल, त्रिशूल, चक्र और शंख रखे जाते हैं।
कलश स्थापना के बाद, देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। पूजा में देवी दुर्गा के मंत्रों का जाप किया जाता है और उन्हें फूल, मिठाई और अन्य प्रसाद अर्पित किए जाते हैं।
कलश स्थापना का महत्व
कलश स्थापना को नवरात्रि के सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक माना जाता है। यह अनुष्ठान देवी दुर्गा की उपस्थिति को घर में आमंत्रित करने के लिए किया जाता है। कलश को देवी दुर्गा का प्रतीक माना जाता है, और यह माना जाता है कि कलश में देवी दुर्गा निवास करती हैं।
कलश स्थापना के माध्यम से, भक्त देवी दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने की आशा करते हैं। वे नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान देवी दुर्गा की पूजा करके उनकी कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
शारदीय नवरात्रि 2023 में कलश स्थापना का मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य रामदेव मिश्र ने बताया कि पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को यानी पहले दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर को 11:44 मिनट से दोपहर 12:30 तक है. ऐसे में कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त इस साल 46 मिनट ही रहेगा.
कलश स्थापना की विधि
कलश स्थापना की विधि इस प्रकार है:
- एक मिट्टी का कलश लें और उसे पानी से भर दें।
- कलश के ऊपर आम के पत्ते, सुपारी, सिक्के और एक कलावा (पवित्र धागा) रखें।
- कलश के अंदर एक मुट्ठी जौ के बीज भी डालें।
- कलश को पूर्व या उत्तर दिशा में एक ऊंचे स्थान पर स्थापित करें।
- एक छोटी सी वेदी बनाएं और उस पर देवी दुर्गा के प्रतीक चिन्ह रखें।
- देवी दुर्गा की पूजा करें।
कलश स्थापना के बाद, आपको रोजाना कलश की पूजा करनी चाहिए। कलश की पूजा करने से देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।
कलश स्थापना के लिए सामग्री
कलश स्थापना के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
- एक मिट्टी का कलश
- पानी
- आम के पत्ते
- सुपारी
- सिक्के
- एक कलावा (पवित्र धागा)
- जौ के बीज
- देवी दुर्गा के प्रतीक चिन्ह
- पूजा की सामग्री (फूल, मिठाई, प्रसाद, आदि)
कलश स्थापना का मंत्र
कलश स्थापना के दौरान निम्नलिखित मंत्र का जाप किया जाता है:
ऊँ देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिते। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
इस मंत्र का अर्थ है:
हे देवी, जो सभी प्राणियों में शक्ति के रूप में स्थित हो। तुम्हें नमस्कार है, तुम्हें नमस्कार है, तुम्हें नमस्कार है, तुम्हें बार-बार नमस्कार है।