मकर संक्रांति भारत के प्रमुख पर्वों में से एक है। यह पूरे भारत और नेपाल में भिन्न रूपों में मनाया जाता है। पौष मास में जिस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है उस दिन इस पर्व को मनाया जाता है। वर्तमान शताब्दी में यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है, इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है।मकर संक्रांति Makar Sankranti के दिन कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। इस दिन स्नान, दान, जप, तप, श्राद्ध और अनुष्ठान का विशेष महत्व है। इस दिन लोग सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं और उनसे सुख, समृद्धि और आरोग्य की कामना करते हैं।

Makar Sankranti 2024 Dateवर्ष 2024 में मकर संक्रांति 15 जनवरी 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य देव प्रातः 02 बजकर 54 मिनट पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस अवसर पर शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा।

Makar Sankrantiमकर संक्रांति पुण्यकाल – 07 बजकर 15 मिनट से 06 बजकर 21 मिनट तक

मकर संक्रांति महा पुण्यकाल – 07 बजकर 15 मिनट से 09 बजकर 06 मिनट तक

दूर होते हैं शनि दोष
मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य की उपासना, दान, गंगा स्नान और शनिदेव की पूजा करने से सूर्य और शनि से संबंधित तमाम तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं। दरअसर सूर्यदेव अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं और शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं,उसमें सूर्य के प्रवेश मात्र से शनि का प्रभाव क्षीण हो जाता है।

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Makar Sankranti मकर संक्रांति का महत्व

मकर संक्रांति के दिन कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। इस दिन स्नान, दान, जप, तप, श्राद्ध और अनुष्ठान का विशेष महत्व है। इस दिन लोग सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं और उनसे सुख, समृद्धि और आरोग्य की कामना करते हैं।

मकर संक्रांति Makar Sankranti का धार्मिक महत्व भी बहुत अधिक है। हिंदू धर्म में सूर्य को देवता माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन लोग सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं और उनसे सुख, समृद्धि और आरोग्य की कामना करते हैं।

मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में प्रकाश और ज्ञान का उदय होता है।

मकर संक्रांति की पौराणिक मान्यताएं
मकर संक्रांति (Makar Sankranti)के दिन ही भीष्म पितामह महाभारत युद्ध समाप्ति के बाद सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा में मकर संक्रान्ति को प्राण त्यागे थे।
मकर संक्रांति पर देवी यशोदा ने श्रीकृष्ण को प्राप्त करने के लिए व्रत किया था।
मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगा कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थी और भगीरथ के पूर्वज महाराज सगर के पुत्रों को मुक्ति प्रदान की थी।

मकर संक्रांति पर उपाय
मकर संक्रांति पर कुछ उपाय करने से कष्टों से मुक्ति और पुण्य की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करना चाहिए ऐसा करने से दस हजार गौ दान का फल प्राप्त होता है। इस दिन ऊनी कपड़े, कम्बल, तिल और गुड़ से बने व्यंजन और खिचड़ी दान करने से सूर्य और शनि देव की कृपा प्राप्त होती है। 

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