कार्तिक मास को दामोदर माह इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस मास में भगवान श्री कृष्ण Jay shree Krishna की दामोदर लीला हुई थी। श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार, एक दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोकुल में माखन चुराया। जब यशोदा मैया को पता चला तो उन्होंने श्री कृष्ण को रस्सी से ऊखल से बांध दिया। श्री कृष्ण की दामोदर लीला के कारण इस मास को दामोदर माह कहा जाता है। कार्तिक मास को दामोदर माह के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस मास में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। भगवान श्री कृष्ण को विष्णु भगवान का अवतार माना जाता है

यशोदा मां ने जब कान्हा को रस्सी से बांधा

जैसा की हम सभी जानते हैं कि भगवान श्री कृष्ण को बचपन से ही माखन खाना बहुत पसंद था। जब भी वो यशोदा मैया से नजर बचाते सीधा माखन खाने के लिए मटकी में हाथ डाल देते थे। एक बार यशोदा मैया माखन बना कर रसोई घर से कुछ लेने चली गईं और श्री कृष्ण ने माखन की मटकी को ऊपर बंधा देख माखन खाने की एक तरकीब अपनाई। श्री कृष्ण उस समय बहुत छोटे थे और उनका हाथ ऊपर टंगी माखन की मटकी तक नहीं पहुंच पाया। तब उन्होनें माखन खाने के लिए पास में रखे ऊखल को रखा और उस पर चढ़ कर माखन की मटकी तोड़ माखन निकाल कर खाने लगे। इतने में मां यशोदा वहां पहुंची और उन्होनें देखा सारी मटकी टूटी पड़ी है। कान्हा की इस शेतानी पर मां यशोदा ने उन्हें उसी ऊखल से बांध दिया। श्री कृष्ण को यशोदा मां ने कमर पर रस्सी से कस कर उसी उखल से बांध दिया जिस पर वो चढ़ कर माखन की मटकी से माखन निकाल कर खा रहे थे।

गोपेश्वर महादेव की लीला (Gopeshwar Mahadev Leela Katha)

Jay shree Krishna श्री कृष्ण की ऊखल बंधन लीला

नारद मुनी ने कुबेर के दोनों पुत्रों नलकुवर और मणीग्रीव को श्राप देकर वृक्ष बना दिया था। वो दोनों लोग श्राप पाने के बाद वर्षों से तपस्या कर रहे थे कि कब श्री कृष्ण जन्म लेंगे और कब उन्हें देवर्षी नारद के इस श्राप से मुक्ति मिलेगी। जब श्री कृष्ण ने द्वापरयुग में जन्म लिया और वह गोकुल आए और जब यशोदा मैया ने उन्हें ऊखल से जिस समय बांधा था। तब उन्हें इन दोनों श्रापित नलकुवर और मणीग्रीव को श्राप से मुक्त भी करना था। यह दोनों श्री कृष्ण (Jay shree Krishna) के नंदभवन के बाहर वृक्ष बन गए थे। जब श्री कृष्ण बाल रूप में ऊखल से बंधे हुए थे। तब पास में ये दोनों कुबरे के पुत्र एक श्रापित वृक्ष रूप में थे। श्री कृष्ण ने अपनी लीली से बंधे ऊखल को इन दोनों वृक्षों के बीच रखा और कस के ऊखल को आगे की और खींचा। जैसे ही श्री कृष्ण ने ऊखल को कस कर खींचा वह दोनों वृक्ष धड़ाम से गिरे और उसमें से दौ दिव्य पुरुष प्रकट होकर अपने असली रूप में पुनः आगए। उन्होनें श्री कृष्ण को होथ जोड़ कर प्रणाम किया और अपनी करनी की क्षमायाचना मांगी। श्री कृष्ण ने उन्हें क्षमा किया और वो दोनों फिर से अपने लोक चले गए। इस तरह यह लीला उखल बंधन लीला कहलाई और यह लीला कार्तिक मास में हुई थी।

कार्तिक के महीने को दामोदर मास इसलिए कहते हैं

श्रीमद्भागवत महापुराण में श्री कृष्ण की इस लाला को विस्तार से बताया गया है। जब दोनों वृक्ष गिरे तब यशोदा मैया श्री कृष्ण की चिंता करते हुए भागी चली आईं और उनके आंखो में आंसू आ गए थे। वह श्री कृष्ण से बोलीं लला अब में तुम्हें कभी भी सजा नहीं दूंगी और श्री कृष्ण अपनी बाल रूप की मंद मुस्कान लिए यशोदा मां के गले लग गए। दमोदर का अर्थ होता है पेट से किसी जीच को बांध देना श्री कृष्ण के ऊखल से बंधे होने के कारण उनका नाम दामोदर पड़ा और कार्तिक के महीने को दामोदर नाम से भी जाना जाने लगा।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । Karmasu.in एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।) 

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