Ekadashi Mata Ki Aarti:एकादशी माता की आरती करने के अनेक आध्यात्मिक और जीवनशैली से जुड़े लाभ हैं। एकादशी का व्रत और आरती विष्णु भगवान और उनकी अवतार स्वरूपा माता एकादशी को समर्पित होती है। यह भक्ति, ध्यान, और अनुशासन का प्रतीक है।
Ekadashi Mata Ki Aarti:एकादशी माता की आरती करने के लाभ
1. पापों का नाश
- धर्मग्रंथों के अनुसार, एकादशी माता की आरती और व्रत करने से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं।
- आरती से मन और आत्मा शुद्ध होती है, जो मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करती है।
2. सकारात्मक ऊर्जा का संचार
- आरती के दौरान दीपक और धूप से वातावरण में सकारात्मकता बढ़ती है।
- यह घर-परिवार में शांति और समृद्धि लाने का कार्य करती है।
3. आध्यात्मिक बल और मानसिक शांति
- Ekadashi Mata Ki Aarti एकादशी माता की आरती करते समय मंत्रों और भजनों से मन एकाग्र होता है।
- यह व्यक्ति को मानसिक तनाव से मुक्ति और ध्यान में वृद्धि प्रदान करती है।
4. सांसारिक सुख-समृद्धि में वृद्धि
- Ekadashi Mata Ki Aarti:एकादशी व्रत और आरती करने से परिवार में धन-धान्य और सुख-शांति आती है।
- यह देवी लक्ष्मी की कृपा पाने का भी माध्यम है।
5. भक्ति और विश्वास में वृद्धि
- आरती के माध्यम से भगवान विष्णु और एकादशी माता के प्रति समर्पण और विश्वास बढ़ता है।
- यह भक्त को धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
6. स्वास्थ्य में सुधार
- व्रत और आरती से शरीर को शुद्धि और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं।
- आरती के सकारात्मक कंपन मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं।
7. मोक्ष और पुनर्जन्म से मुक्ति
8. धार्मिक और पारिवारिक एकता
- जब परिवार के सभी सदस्य मिलकर आरती करते हैं, तो यह आपसी प्रेम और सामंजस्य को बढ़ाता है।
- यह बच्चों को धर्म और परंपराओं से जोड़ने का माध्यम बनता है।
9. विष्णु भगवान की कृपा
- एकादशी माता को विष्णु भगवान की प्रिय तिथि माना जाता है। आरती करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
आरती का समय और विधि
- एकादशी माता की आरती प्रातःकाल या सायंकाल की जाती है।
- शुद्ध होकर भगवान विष्णु और माता एकादशी के समक्ष दीपक, धूप, और फूल चढ़ाएं।
- आरती के बाद प्रसाद बांटकर व्रत कथा सुनें।
सारांश
Ekadashi Mata Ki Aarti:एकादशी माता की आरती करने से मन, शरीर, और आत्मा को शांति मिलती है। यह आरती व्यक्ति को आध्यात्मिक ऊंचाइयों पर ले जाती है और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाती है।
Ekadashi Mata Ki Aarti:एकादशी माता की आरती
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥
ॐ जय एकादशी…॥
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई॥
ॐ जय एकादशी…॥
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है।
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै॥
ॐ जय एकादशी…॥
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै॥
ॐ जय एकादशी…॥
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी।
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की॥
ॐ जय एकादशी…॥
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली।
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली॥
ॐ जय एकादशी…॥
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी।
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी॥
ॐ जय एकादशी…॥
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए॥
ॐ जय एकादशी…॥
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला॥
ॐ जय एकादशी…॥
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी॥
ॐ जय एकादशी…॥
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया॥
ॐ जय एकादशी…॥
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै॥
ॐ जय एकादशी…॥