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- Create Date November 6, 2023
- Last Updated November 6, 2023
Srimartandbhairavadhyanam
श्रीमृर्तंड़ भैरव ध्यानं एक भैरव ध्यान है जो भगवान शिव के भैरव रूप, मार्तंड भैरव का ध्यान करता है। यह ध्यान भक्तों को मार्तंड भैरव के दिव्य रूप और गुणों को ध्यान में रखने में मदद करता है।
ध्यान इस प्रकार है:
आसन
उत्तम आसन पर बैठें, जैसे कि पद्मासन या वज्रासन। अपनी पीठ को सीधा रखें और अपने दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रखें।
न्यास
अपने ह्रदय पर नमस्कार मुद्रा में अपने हाथों को रखें। अपने दाहिने हाथ से, अपने ह्रदय पर "ॐ" का न्यास करें। अपने बाएं हाथ से, अपने ह्रदय पर "नमः" का न्यास करें।
ध्यान
अपने मन को मार्तंड भैरव के दिव्य रूप पर केंद्रित करें। उन्हें एक काले रंग के योगी के रूप में देखें, जिनके तीन आंखें हैं और जिनके सिर पर एक मुकुट है। उनके चार हाथ हैं, जिनमें से प्रत्येक में एक अलग आयुध है।
उनके दाहिने हाथ में एक डमरू, उनके बाएं हाथ में एक त्रिशूल, उनके ऊपरी बाएं हाथ में एक खप्पर और उनके ऊपरी दाहिने हाथ में एक मुद्रा है।
उनके शरीर पर भस्म और रुद्राक्ष की माला है। वे एक सिंह की सवारी पर बैठे हैं।
मंत्र
Srimartandbhairavadhyanam
अपने मन में मार्तंड भैरव के मंत्र का जप करें:
ॐ श्री मार्तण्ड भैरवाय नमः
प्रार्थना
मार्तंड भैरव से अपनी कृपा और आशीर्वाद मांगें। उन्हें अपने जीवन को आशीर्वाद देने और सभी बाधाओं को दूर करने के लिए कहें।
उपसंहार
ध्यान के अंत में, अपने मन को शांत करें और अपने सामान्य क्रियाकलापों में लौट आएं।
ध्यान का लाभ
श्रीमृर्तंड़ भैरव ध्यान का नियमित अभ्यास करने से भक्तों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त हो सकते हैं:
- बुरी शक्तियों से सुरक्षा
- सभी बाधाओं को दूर करना
- धन, समृद्धि और सफलता प्राप्त करना
- आध्यात्मिक विकास
ध्यान का अभ्यास
श्रीमृर्तंड़ भैरव ध्यान का अभ्यास करने के लिए, आप प्रतिदिन 10 से 15 मिनट का समय निकाल सकते हैं। आप ध्यान को किसी भी समय और किसी भी स्थान पर कर सकते हैं, लेकिन यह एक शांत और एकान्त स्थान पर करना सबसे अच्छा है।
ध्यान शुरू करने से पहले, एक शांत और एकान्त स्थान पर जाएं। अपने शरीर को आराम दें और अपने मन को शांत करें।
ध्यान के लिए, आप निम्नलिखित चरणों का पालन कर सकते हैं:
- आसन: अपने लिए एक आरामदायक आसन खोजें। आप पद्मासन, वज्रासन या किसी अन्य आसन में बैठ सकते हैं।
- न्यास: अपने शरीर के विभिन्न भागों पर क्रमिक रूप से ध्यान केंद्रित करें। अपने ह्रदय, सिर, चेहरे और शरीर के अन्य हिस्सों पर ध्यान केंद्रित करें।
- ध्यान: अपने मन को मार्तंड भैरव के दिव्य रूप पर केंद्रित करें। उनके मंत्र का जप करें और उनकी कृपा और आशीर्वाद मांगें।
- उपसंहार: ध्यान के अंत में, अपने मन को शांत करें और अपने सामान्य क्रियाकलापों में लौट आएं।
नियमित अभ्यास से, आप मार्तंड भैरव के दिव्य रूप और गुणों को अधिक स्पष्ट रूप से देख पाएंगे। आप उनकी कृपा और आशीर्वाद से भी लाभान्वित होंगे।
श्रीरुद्राष्टकं तुलसीदासकृतम् Shrirudrashtakam tulsidaskritam
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