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  • Create Date November 2, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

Mrityunjay Stotra 1 Markandeyaproktam Narasinghapurane

मृत्युंजय स्तोत्र 1 मार्कण्डेयप्रोक्ता एक हिंदू स्तोत्र है जो भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र नारायण पुराण में मिलता है। यह स्तोत्र मार्कण्डेय ऋषि द्वारा रचित है।

मृत्युंजय स्तोत्र 1 में 10 श्लोक हैं। इन श्लोकों में भगवान शिव को मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाला कहा गया है।

मृत्युंजय स्तोत्र 1 के अनुसार, भगवान शिव ही एकमात्र हैं जो मृत्यु को जीत सकते हैं। वे ही भक्तों के सभी कष्टों को दूर कर सकते हैं और उन्हें मोक्ष प्रदान कर सकते हैं।

मृत्युंजय स्तोत्र 1 का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं।

मृत्युंजय स्तोत्र 1 के कुछ श्लोक इस प्रकार हैं:

श्लोक 1:

॥ मृत्युंजय स्तोत्र ॥

अर्थ:

हे मृत्युंजय, हे शिव, आप सभी देवताओं के स्वामी हैं। आप सर्वशक्तिमान हैं और आप सभी दुखों को दूर करने वाले हैं।

श्लोक 2:

त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्

अर्थ:

हम त्र्यंबक की पूजा करते हैं, जो सुगंधित और पुष्टिकारक हैं। जैसे कि ककड़ी लता अपनी नाभि से बंधी होती है, वैसे ही हमें मृत्यु से मुक्त कर दो, लेकिन अमरता से नहीं।

श्लोक 3:

ओं नमः शिवाय

अर्थ:

हे शिव, आपको नमस्कार।

Mrityunjay Stotra 1 Markandeyaproktam Narasinghapurane

मृत्युंजय स्तोत्र 1 का पाठ करने का तरीका निम्नलिखित है:

  • सबसे पहले किसी पवित्र स्थान पर बैठ जाएं।
  • फिर, हाथ में जल लेकर भगवान शिव का ध्यान करें।
  • इसके बाद, स्तोत्र का पाठ करें। प्रत्येक श्लोक का पाठ 108 बार करें। स्तोत्र का पाठ करते समय मन को एकाग्र रखें।

मृत्युंजय स्तोत्र 1 के श्लोक 1 और 2 का अर्थ इस प्रकार है:

श्लोक 1:

हे मृत्युंजय, हे शिव, आप सभी देवताओं के स्वामी हैं। आप सर्वशक्तिमान हैं और आप सभी दुखों को दूर करने वाले हैं।

श्लोक 2:

हम त्र्यंबक की पूजा करते हैं, जो सुगंधित और पुष्टिकारक हैं। जैसे कि ककड़ी लता अपनी नाभि से बंधी होती है, वैसे ही हमें मृत्यु से मुक्त कर दो, लेकिन अमरता से नहीं।

श्लोक 1 में, भक्त भगवान शिव को मृत्युंजय के रूप में नमस्कार करते हैं। मृत्युंजय का अर्थ है "मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाला"। भक्त यह प्रार्थना करते हैं कि भगवान शिव उन्हें मृत्यु के भय से मुक्त करें।

श्लोक 2 में, भक्त भगवान शिव की स्तुति करते हैं। वे उन्हें त्र्यंबक कहते हैं, जो एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है "तीन नेत्र वाला"। वे यह भी कहते हैं कि भगवान शिव सुगंधित और पुष्टिकारक हैं।

श्लोक 2 के अंत में, भक्त भगवान शिव से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें मृत्यु से मुक्त करें, लेकिन अमरता नहीं दें। वे यह प्रार्थना करते हैं कि वे इस जीवन में ही मोक्ष प्राप्त करें।

मृत्युंजय स्तोत्र 1 एक बहुत ही शक्तिशाली स्तोत्र है। इसका पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं।

मृत्युञ्जयस्तोत्रम् २ नरसिंहपुराणे Mrityunjayastotram 2 Narasinghpurane


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