- Version
- Download 246
- File Size 0.00 KB
- File Count 1
- Create Date November 7, 2023
- Last Updated November 7, 2023
Atmanathstuti:3 (Vatpurishvarakrita Mandhahassundararvindavaktrashobhitam)
आत्मनाथस्तुतिः 3 (वटपूष्यावरकृत मन्दहाससुन्दरअरविन्दवक्त्रशोभितम) एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान विष्णु की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र 10 श्लोकों में विभाजित है, और प्रत्येक श्लोक भगवान विष्णु के एक अलग गुण या पहलू की प्रशंसा करता है।
श्लोक 3 इस प्रकार है:
वटपूष्यावरकृत मन्दहाससुन्दरअरविन्दवक्त्रशोभितम, नीलकमलनिलसुन्दरनेत्रैर्युक्तम, पारिजातपुष्पमालिकामण्डितम, श्रीवामनरूपम, अभीष्टफलप्रदं, सर्वेश्वरं, नमामि विष्णुम्।
अनुवाद:
मैं उस विष्णु को नमन करता हूँ, जिनका मुख मन्दहास से सुशोभित है, जो वटवृक्ष के ऊपर बैठे हैं, जिनके नेत्र नीलकमल के समान सुन्दर हैं, जो पारिजात पुष्पों की माला से अलंकृत हैं, जो वामन रूप में प्रकट हुए थे, जो सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाले हैं, और जो सर्वेश्वर हैं।
श्लोक 3 में, भगवान विष्णु को उनके मन्दहास, नीलकमल के समान नेत्रों, पारिजात पुष्पों की माला, वामन रूप, और सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने की शक्ति के लिए स्तुति की जाती है।
श्लोक 3 का अर्थ इस प्रकार है:
Atmanathstuti:3 (Vatpurishvarakrita Mandhahassundararvindavaktrashobhitam)
- वटपूष्यावरकृत मन्दहाससुन्दरअरविन्दवक्त्रशोभितम: भगवान विष्णु का मुख मन्दहास से सुशोभित है, जो उनकी शांति और दयालुता का प्रतीक है।
- नीलकमलनिलसुन्दरनेत्रैर्युक्तम: भगवान विष्णु के नेत्र नीलकमल के समान सुन्दर हैं, जो ज्ञान और सत्य का प्रतीक हैं।
- पारिजातपुष्पमालिकामण्डितम: भगवान विष्णु पारिजात पुष्पों की माला से अलंकृत हैं, जो प्रेम और सौभाग्य का प्रतीक हैं।
- श्रीवामनरूपम: भगवान विष्णु ने वामन रूप में प्रकट होकर असुरों का नाश किया था।
- अभीष्टफलप्रदं: भगवान विष्णु सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाले हैं।
- सर्वेश्वरं: भगवान विष्णु सर्वेश्वर हैं, जो समस्त ब्रह्मांड के स्वामी हैं।
आत्मनाथस्तुतिः 3 (वटपूष्यावरकृत मन्दहाससुन्दरअरविन्दवक्त्रशोभितम) एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह स्तोत्र उन लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता है जो अपने जीवन में शांति, ज्ञान, प्रेम और सौभाग्य की तलाश में हैं।
श्रीकृष्णस्तुतिर्मङ्गलम् (1) shreekrshnastutirmangalam (1)
Download