आप में अधिकतर पाठक देवताओं और दानवों द्वारा किए गए समुद्र मंथन के बारे में जानते है। लेकिन हमारे धर्म ग्रंथो में इसके अलावा भी अन्य मंथन का वर्णन है। आज हम आपको तीन ऐसे ही मंथन की कहानियां बता…
प्राचीन काल में रुक्मांगद नामक एक प्रसिद्ध सार्वभौम नरेश थे। भगवान की आराधना ही उनका जीवन था। वे चराचार जगत में अपने आराध्य भगवान हषीकेश के दर्शन करते तथा भगवान विष्णु की सेवा की भावना से ही अपने राज्य का…
धर्म ग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन व्रज में श्रीकृष्ण के प्रेयसी राधा का जन्म हुआ था। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार,…
भगवान गणेश के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है उच्ची पिल्लयार मंदिर (Ucchi Pillayar Temple) जो की तमिलनाडू के तिरुचिरापल्ली (त्रिचि) नामक स्थान पर रॉक फोर्ट पहाड़ी की चोटी पर बसा बसा हुआ है। यह मंदिर लगभग 273 फुट की ऊंचाई पर…
हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार इस धरती पर भागीरथी गंगा के आने से पहले ही पंच गंगाओं का धरती पर अवतरण हो चूका था। इन पंच गंगाओं का जहाँ अवतरण हुआ था वो जगह “पंचनद तीर्थ” कहलाती है। आइए जानते…
शास्त्रों में महाभारत को पांचवां वेद कहा गया है। महाभारत की कथा जितनी बड़ी है, उतनी ही रोचक भी है। इसके रचयिता महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास हैं। इस ग्रंथ में कुल एक लाख श्लोक हैं, इसलिए इसे शतसाहस्त्री संहिता भी कहते…
अम्बरीष (Ambarish) बड़े धर्मात्मा राजा थे। उनके राज्य में बड़ी सुख शांति थी। धन, वैभव,राज्य, सुख, अधिकार, लोभ, लालच से दूर निश्चिन्त होकर वह अपना अधिकतर समय ईश्वर भक्ति में लगाते थे। अपनी सारी सम्पदा, राज्य आदि सब कुछ वे…
आज हम अपने पाठकों को रामायण में वर्णित चूडामणि की कहानी (Story of Chudamani) बता रहे है। इस कहानी में आप जानेंगे की- १–कहाँ से आई चूडा मणि ? २–किसने दी सीता जी को चूडामणि ? ३–क्यों दिया लंका में…
सावर्णि मुनि की पुत्री तुलसी अपूर्व सुंदरी थी। उनकी इच्छा थी कि उनका विवाह भगवान नारायण के साथ हो। इसके लिए उन्होंने नारायण पर्वत की घाटी में स्थित बदरीवन में घोर तपस्या की। दीर्घ काल तक तपस्या के उपरांत ब्रह्मा…
अति प्राचीन काल की बात है। द्रविड़ देश में एक पाण्ड्यवंशी राजा राज्य करते थे। उनका नाम था इंद्रद्युम्न। वे भगवान की आराधना में ही अपना अधिक समय व्यतीत करते थे। यद्यपि उनके राज्य में सर्वत्र सुख-शांति थी। प्रजा प्रत्येक…
एक बार ब्रह्मा जी के मानस पुत्र सनत-सनकादि भगवान विष्णु के दर्शन करने वैकुंठ धाम पहुंचे। वैकुंठ में विष्णु धाम के द्वार पर भगवान के दो पार्षद जय-विजय द्वारपाल के रूप में बैठे थे। इन दिगम्बर साधुओं को देखकर पहले…
दिल्ली से 128 किमी की दूरी पर तथा मथुरा से 60 किमी की दूरी पर स्थित कोसी कला स्थान पर सूर्यपुत्र भगवान शनिदेव जी का एक अति प्राचीन मंदिर स्थापित है। इसके आसपास ही नंदगांव, बरसाना एवं श्री बांके बिहारी…