महाभारत में ऐसे अनेक पात्र हैं, जिनके बारे में लोग कम ही जानते हैं। ऐसा ही एक पात्र है भीम का पुत्र घटोत्कच। अधिकांश लोग ये जानते हैं कि घटोत्कच भीम व राक्षसी हिडिंबा का पुत्र था और उसकी मृत्यु…
बाबा तुलसी दास जी ने रामचरित्र मानस में लिखा है।“ललित अंक कुलसादिक चारी ।।” अर्थात भगवान राम के पग तलवे में चार चिन्ह अंकित हैं। १- कमल २- वज्र ३-अंकुश ४-ध्वजा। आइए जानते है कैसे आए प्रभु श्री राम के…
मार्गशीर्ष शुक्ल 14 को महाभारत युद्ध प्रारम्भ हुआ था जो लगातार 18 दिनों तक चला था। यहां जानिए महाभारत युद्ध के 18 दिनों में किस दिन क्या हुआ था… पहला दिनयुद्ध के पहले दिन पांडव पक्ष को भारी हानि हुई…
एक समय की बात है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम रावण का वध करके भगवती सीता के साथ अवधपुरी वापस आ गए । अयोध्या को एक दुल्हन की तरह से सजाया गया और उत्सव मनाया गया ।उत्सव मनाया जा रहा था तभी…
अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल देने वाला माना गया है। भगवान विष्णु को समर्पित अनंत चतुर्दशी का पर्व भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इसे लोकभाषा में अनंत…
महाभारत का युद्ध खत्म हुआ। कौरव तो सभी युद्ध में मारे जा चुके थे। पांडव भी कुछ समय तक राज्य करके हिमालय पर चले गए। वहां पर एक, एक करके सभी भाई गिर गए। अकेले युधिष्ठिर अपने एक मात्र साथी…
श्री व्यास जी ने राजा परीक्षित से कहा:–परीक्षित होनी तो होके रहती है, इसे कोई बदल नही सकता। आज मैं तुम्हे उस रहस्य को बताता हूँ, जो दुर्लभ है। एक समय सृष्टि से जल तत्व अदृश्य हो गया ।सृष्टि में…
कश्यप मुनि और उनकी दो पत्नियों (अदिति और दिति) ने ही जल-जन्तुओं के स्वामी वरूणदेव के शापवश पृथ्वी पर वसुदेव, देवकी और रोहिणी के रूप में अवतार ग्रहण किया था।एक बार महर्षि कश्यप यज्ञकार्य के लिए वरुणदेव की गौ ले…
स्वायम्भुवमन्वन्तर में जब माता देवकी का पहला जन्म हुआ था, उस समय उनका नाम ‘पृश्नि’ तथा वसुदेव ‘सुतपा’ नामक प्रजापति थे। दोनों ने संतान प्राप्ति की अभिलाषा से सूखे पत्ते खाकर और कभी हवा पीकर देवताओं का बारह हजार वर्षों…
काशी-विश्वनाथ की स्थापना करी थी शनि देव ने :-स्कन्द पुराण में काशी खण्ड में वृतांत आता है, कि छाया सुत श्री शनिदेव ने अपने पिता भगवान सूर्य देव से प्रश्न किया कि हे पिता! मै ऐसा पद प्राप्त करना चाहता हूँ,…
प्राचीन काल में कश्मीर देश में देवव्रत नामक एक द्विज थे। उनके सुन्दर रूप वाली एक कन्या थी। जो मालिनी के नाम से प्रसिद्ध थी। द्विज ने उस कन्या का विवाह सत्यशील नामक सुन्दर बुद्धि मान द्विज के साथ कर…
व्यास जी ने अर्जुन से कहा :—– पूर्वकाल की बात है,तीन वलवान् असुरों ने आकाश में अपने नगर बना रक्खे थे । वे नगर विमान के रूप में आकाश में विचरा करते थे । उन तीन नगरों में एक लोहे…